नई दिल्ली. मा. सर्वोच्च न्यायालय द्वारा श्रीराम जन्मभूमि मामले में दिए गए ऐतिहासिक निर्णय के बाद विश्व हिन्दू परिषद् के केन्द्रीय पदाधिकारियों की एक विशेष बैठक विहिप के मुख्यालय संकट मोचन आश्रम, राम कृष्ण पुरम, दिल्ली में संपन्न हुई. जिसमें मा. सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय पर संतोष व्यक्त किया गया. विश्व हिन्दू परिषद् कार्याध्यक्ष अधिवक्ता आलोक कुमार जी की अध्यक्षता में सम्पन्न बैठक में उन सभी पूज्य संतों, महापुरुषों, इतिहासकारों, न्यायविदों, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के विशेषज्ञों के प्रति आभार प्रकट किया गया, जिनके अनथक परिश्रम ने न्यायालय को इस निर्णय तक पहुंचने में सहयोग किया.
बैठक में एक प्रस्ताव पारित कर कहा गया कि 1528 से चल रहे संघर्षों के सभी चरणों में पूज्य संत-महात्माओं की विशिष्ट भूमिका रही है. संघर्षों के वर्तमान चरण का तो प्रारंभ ही संतों ने किया. वर्ष 1984 में आयोजित धर्म संसद में रामजन्मभूमि मुक्ति का संकल्प लेकर उन्होंने ही इस अभियान के लिए शंखनाद किया था और विहिप को यह आंदोलन सौंपा था. तब से लेकर अब तक आंदोलन के हर चरण में उनके आशीर्वाद, मार्गदर्शन और सहयोग निरंतर मिलते रहे. अपने मठ, मंदिर, आश्रम छोड़ कर जिस प्रकार उन्होंने गली – गली व गांव – गांव में घूमकर जागरण किया, उसके लिए सम्पूर्ण हिन्दू समाज उनका कृतज्ञ रहेगा. पूज्य संतों की इस महत्वपूर्ण भूमिका के बिना आंदोलन की सफलता संभव नहीं थी.
बैठक में माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय का विश्लेषण भी किया गया. निर्णय के क्रियान्वयन में केंद्र सरकार व उत्तर प्रदेश की राज्य सरकार की भूमिका भी निर्धारित की गई है. ये सरकारें अपने दायित्व के प्रति सजग व सक्रिय हैं ही, यह विश्वास व्यक्त करते हुए उनसे त्वरित कार्रवाई का आग्रह किया गया.