हमारे संसाधनों का दोहन कर रहे घुसपैठियों को देश से बाहर किया जा सकता है, लेकिन वोट बैंक कि राजनीति करने वाले कुछ कथित “सेकुलर” नेता राष्ट्रधर्म निभाने के बजाये घुसपैठियों की वकालत करते है और तो और वे ऐसे संवेदनशील मुद्दे पर बेतुके बयान देने और घटिया राजनीति करने से भी बाज नहीं आते है. नतीजतन घुसपैठियों की तादाद बढ़ती जा रही है. असम में हो रही हिंसक घटनाओं के कारण भी यही है. सेकुलरिज्म की आड़ में की जाने वाली इस कट्टरपंथी और ओछी राजनीति को रोकने के लिये आने वाली सरकार को ठोस रणनीति बनाना बेहद आवश्यक है.
कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक देश के किसी भी हिस्से की बात करें तो अवैध तरीके से घुसपैठ कर भारत में बसने वाले बंगलादेशियों की तादाद लगातार बढ़ती जा रही है. इन घुसपैठियों ने असम में तो अपना पूरा साम्राज्य स्थापित कर ही लिया है और वोट बैंक के सेकुलरवादी सौदागरों के संरक्षण में ये पूरे देश में फैल रहे हैं. इन पर नियंत्रण की बात गुनाह और इनके संरक्षण का नारा फैशन बन गया है. पुलिस आये दिन विभिन्न अपराधों में बंगलादेशियों की संलिप्तता भी उजागर करती रहती है. आईबी भी बंगलादेशियों की घुसपैठ को लेकर दर्जनों रपट सरकार को सौंप चुकी है. बावजूद इसके बंगलादेशियों की घुसपैठ रुकने का नाम नहीं ले रही है. संयुक्त राष्ट्र संघ के “डिपार्टमेंट ऑफ इकॉनामी एंड सोशल अफेयर” ने वर्ष 2013 में अपनी रपट में भारत में करीब साढ़े तीन करोड़ बंगलादेशियों के होने की बात कही थी. असम में पुलिस प्रमुख रह चुके भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी बलजीत राय ने 1993 में “भारत के विरुद्ध जनसांख्यिकी आक्रमण” नाम की एक पुस्तक लिखी थी. इस पुस्तक में उन्होंने अनुमान लगाया था कि भारत में डेढ़ करोड़ बंगलादेशी हैं, साथ ही उन्होंने यह भी कहा था कि यह अनुमान है, बंगलादेशियों की संख्या इससे कहीं ज्यादा हो सकती है. एशिया-2030 नाम की पुस्तक में प्रसिद्ध समाजशास्त्री डॉ. आनंद कुमार का “इल्लीगल माइग्रेशन इन टू इंडिया: प्रॉब्लम्स एंड प्रोस्पेक्ट” शीर्षक से निबंध था, जिसमें उन्होंने इस बात पर आश्चर्य प्रकट किया था कि आधिकारिक तौर पर बंगलादेश सरकार इस बात से मना करती है कि भारत में बंगलादेशी अवैध तरीके से घुसपैठ कर रहे हैं, लेकिन व्यक्तिगत बातचीत में वहां के सभी राजनीतिज्ञ स्वीकार करते हैं कि भारत में बड़ी संख्या में बंगलादेशी जा रहे हैं. केंद्रीय गृह राज्यमंत्री एम रामचंद्रन ने 2011 में संसद को बताया था कि पिछले दस वर्षों में लगभग डेढ़ करोड़ अवैध बंगलादेशी भारत में घुस चुके हैं. यदि एक दशक में डेढ़ करोड़ आ सकते हैं तो पिछले चार दशकों में कितने आये होंगे? भारत में बंगलादेशियों की अवैध घुसपैठ का काम 1971 से जारी है. 14, जुलाई, 2004, को संसद में केन्द्रीय मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल ने बताया था कि भारत में करीब 1 करोड़ 20 लाख के लगभग बंगलादेशी हैं. असम के राज्यपाल रहे श्री अजय सिंह ने भी केंद्रीय गृह मंत्रालय को लिखा था कि असम में हर रोज 6 हजार बंगलादेशी घुसते हैं. मामला प्रेस में लीक हो गया तो सरकार के दबाव में उन्हें कहना पड़ा कि यह संख्या सारे देश में घुसने वाले बंगलादेशियों की है. लेफ्टिनेंट जनरल एसके सिन्हा को वर्ष 1997 में असम का राज्यपाल बनाया गया था. उन्होंने 1998 में 42 पन्ने की एक रिपोर्ट राष्ट्रपति को सौंपी थी. जिसमें उन्होंने लिखा था “लंबे समय से ग्रेटर बांग्लादेश बनाने का षड्यंत्र उत्तरपूर्वी भारत के लिये भयंकर खतरा पैदा कर रहा है, चुपचाप हो रही घुसपैठ असम के निचले हिस्सों को भारत से काटने का काम कर रही है. दिल्ली पुलिस ने सितंबर 2003 में उच्च न्यायालय में एक शपथपत्र दाखिल किया था, जिसमें कहा गया था कि कम से कम 13 लाख बंगलादेशी दिल्ली में मौजूद हैं. वरिष्ठ स्वतंत्र पत्रकार मयंक जैन ने वर्ष 2005 में “दि बंगला क्रीसेंट” वृतचित्र बनाया था, जिसमें इन सब बातों का उल्लेख किया गया है. इसमें इंटेलिजेंस ब्यूरो की एक रिपोर्ट के हवाले से बताया गया है कि बंगलादेशी घुसपैठियों की संख्या पश्चिमी बंगाल में 79 लाख, असम में 50 लाख, त्रिपुरा में 3.75 लाख और झारंखड में 4.75 लाख है. इसमें अरुणाचल प्रदेश के सेवानिवृत्त पुलिस महानिरीक्षक आर.के. ओहरी का यह कथन भी उल्लेखनीय है कि बंगलादेशी घुसपैठियों की समस्या का निदान करना जरूरी है. इस मुद्दे पर यदि कोई राजनीति करके उनका पक्ष लेता है तो वह देश को गर्त में ले जाने का काम कर रहा है. ऐसे लोग देश के लिये जयचंदों का काम कर रहे हैं. बंगलादेश से होने वाली घुसपैठ को रोकने के लिये ठोस रणनीति बनाने की जरूरत है. करीब दो वर्ष पहले हिंदू महासभा के सर्वेक्षण में दिल्ली में ही करीब 15 लाख से अधिक बंगलादेशियों के होने का दावा किया गया था. सर्वेक्षण के बाद जो आंकड़े निकलकर आये, वे चौंकाने वाले थे, बंगलादेशी घुसपैठियों के कारण दिल्ली के करीब 37 प्रतिशत विधानसभा क्षेत्रों में मुसलमान मतदाता निर्णायक स्थिति में पहुंच चुके हैं. कुछ क्षेत्रों में मुसलमानों की आबादी करीब 30 प्रतिशत हो चुकी है. इनकी रणनीति है 2020 तक दिल्ली के सभी विधानसभा क्षेत्रों में अपना दबदबा कायम करने की. इसी को देखते हुये पूरी दिल्ली में बंगलादेशियों को बसाया जा रहा है. पाञ्चजन्य ने पूर्व में “बंगलादेशी मुस्लिम घुसपैठियों के कारण असम की राह पर दिल्ली“ शीर्षक से लेख प्रकाशित किया था, दिल्ली में बंगलादेशियों की बढ़ती हुई आबादी और दिल्ली में बढ़ते अपराधों में उनकी संलिप्तता के बारे में विस्तार से बताया गया है. यदि दिल्ली की बात करें तो यहां पर बंगलादेशियों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है. दिल्ली के गाजीपुर डेयरी फार्म में सरकारी जमीन पर अवैध तरीके से मस्जिद का निर्माण भी किया जा रहा है. यहां पर आसपास करीब दो हजार झुग्गियां हैं, जहां अवैध तरीके से हजारों की संख्या में बंगलादेशी अपना ठिकाना बनाकर रह रहे हैं.
न्यायालय भी कर चुका है टिप्पणी
भारत में बंगलादेश घुसपैठिये अपने आकाओं के संरक्षण में किस प्रकार रह रहे हैं, इस पर रोहिणी सत्र न्यायालय की अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश कामिनी लॉ ने 25 जनवरी 2012 को एक बंगलादेशी घुसपैठिये को विदेशी नागरिक अधिनियम के तहत सजा सुनाते हुये टिप्पणी की थी कि “वोट बैंक की राजनीति करने वाले लोगों के कारण सरकार भारत में अवैध रूप से रह रहे 3 करोड़ बंगलादेशियों के विरुद्ध कड़ी कारवाई नहीं कर पाती है. अवैध रूप से रह रहे ये बंगलादेशी न केवल यहां मजे से जीवन-यापन कर रहे है, बल्कि भारतीय नागरिकों के अधिकारों एवं भारतीयों के लिये बनाई गई सरकारी सुविधाओं का भी भरपूर मात्रा में दोहन कर रहे है.
यह देश का दुर्भाग्य है कि देश के नागरिकों को गरीबी का सामना करना पड़ रहा है. अधिकांश लोगों को राशन कार्ड एवं अन्य सुविधायें नहीं मिल पाती है, जबकि वोट बैंक की गंदी राजनीति के कारण अवैध रूप से घुसपैठ कर देश में आये बंगलादेशी स्वयं को यहां का नागरिक सिद्ध करने के लिये राशन कार्ड, वोट कार्ड एवं अन्य पहचान संबंधी सुविधायें जल्द प्राप्त कर लेते है. जब कोई घुसपैठ के खतरों की बात करता है तो वोट बैंक की राजनीति कर रहे नेता उसे साम्प्रदायिक करार दे देते है. “सेकुलर मीडिया” भी इस पर चुप्पी साध लेता है. दिल्ली में सीमापुरी,पुरानी सीमापुरी,बवाना कॉलोनी,मेट्रो विहार,शास्त्री पार्क,भलस्वा,जे.जे.कालोनी,जहांगीरपुरी,मंगोलपुरी वाई ब्लाक,किशनगढ़ और सीलमपुर समेत कई ऐसे इलाके है, जहां बंगलादेशी बड़ी संख्या में रह रहे है.
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