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भदोही – वास्तव में डूबकर मौत तो पत्रकारीय पेशे की हुई है!

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डॉ. जेपी सिंह

लाशों पर राजनीति करने का मुहावरा तो हमने सुना ही है, लेकिन कुछ लोग अब लाशों पर पत्रकारिता करने को उतारू हैं. भदोही जिला इस नई पत्रकारीय-प्रवृत्ति का ताजा उदाहरण है. यहां पर कुछ नामी-गिरामी पत्रकारों और कुछ तथाकथित सामाजिक-कार्यकर्ताओं ने झूठ का ऐसा पहाड़ खड़ा किया कि एक बार तो राज-समाज सब सन्नाटे में आ गए.

घटना हृदयविदाहक थी. एक मां ने घरेलू झगड़े से तंग आकर अपने बच्चों को नदी में बहा दिया था. एक मां के ऐसे व्यवहार ने सभी को झकझोर कर रख दिया था. ग्राम-जहागीराबाद, पोस्ट भवानीपुर, कोतवाली-गोपीगंज, भदोही की रहने वाली मंजू देवी ने अपने बच्चों-आरती (11 वर्ष ), सरस्वती (07 वर्ष), मातेश्वरी (06 वर्ष ), शिवशंकर (05वर्ष), केशव प्रसाद (03वर्ष), 11-12 की अर्धरात्रि को अपने बच्चों को गंगा नदी में बहा दिया. पुलिस विवेचना के अनुसार मंजू देवी ने यह कदम पति से निरंतर विवादों से उपजे अवसाद के कारण उठाया था.

इस घटना को संवेदनशील तरीके से देखने, समझने और परोसने की जरूरत थी, लेकिन हुआ इसके उलट. संवेदनशीलता की बात तो दूर, जिस खबर से आम-आदमी का कलेजा फटा जा रहा था, उसको परोसने  में न्यूनतम मीडिया नैतिकताओं को भी दरकिनार कर दिया गया. बात यहीं तक रुक जाती तो भी, हद तब हो गई जब इसके घटना के आधार पर कुछ एजेंडेबाजों ने फर्जी और मगनढ़ंत खबरें आगे बढ़ाईं.

सरकार को घेरने के अपने एजेंडें को आगे बढ़ाने के लिए तुरंत ही कुछ पत्रकार और कार्यकर्ता कूद पडे़. पुण्य प्रसून वाजपेयी ने जांचे बिना अपने ट्विट में गरीबों के प्रति सारी संवेदनशीलता उड़ेल दी – ये वो देश तो नहीं….दिहाड़ी मजदूर …ना काम, ना रोटी, क्या करें मां, बच्चों को गंगा नदी में बहा दिया. इसी एजेंडे को आगे बढ़ाते हुए पत्रकार शिवम विज ने ट्वीट किया कि – लॉकडाउन की स्थिति में  अपने 5 बच्चों को भोजन न दे पाने के कारण पूर्वांचल के एक जिले भदोही में एक महिला ने अपने 5 बच्चों को गंगा में फेंक दिया.

इसी एजेंडे को आगे बढ़ाते हुए कविता कृष्णन ने ट्विट किया – यूपी में एक दिहाड़ी मजदूर की मां ने 5 बच्चों को नदी में फैंककर आत्महत्या की कोशिश की. लॉकडाउन की वजह से वह बच्चों को खाना खिलाने में अक्षम थी. प्रशांत भूषण ने भी फर्जी खबर पर रोना रोया – हृदयविदारक! एक आघातकारी घटना. यूपी में एक मां ने अपने 5 बच्चों को नदी में फेंका. उसने दावा किया कि उसके पास भोजन नहीं है क्योंकि वह दिहाड़ी मजदूरी करते हैं और लॉकडाउन में उसको काम मिलना बंद हो गया है. प्रशांत भूषण ने इसके साथ ही आउटलुक इंडिया के खबर की लिंक भी शेयर की. आउटलुक इंडिया ने इस पर खबर प्रकाशित की थी. क्विंट ने भी खबर को भूख से जोड़कर प्रकाशित किया, जिसे कई लोगों ने शेयर किया था.

फर्जी खबरों का बाजार गर्म होते ही प्रशासन सक्रिय हुआ. भदोही पुलिस ने ट्वीट कर वस्तुस्थिति को सामने रखा – मंजू देवी ने 05 बच्चों को भुखमरी के कारण गंगा नदी में नहीं डुबाया है. अन्य कारण द्वारा घटना को अंजाम दिया गया है. मंजू देवी के बयान से स्पष्ट है कि भुखमरी के कारण बच्चों को नदी में नहीं डुबाया गया है.

इसके बाद भी फर्जी खबरों आगे बढ़ती रहीं तो पुलिस को पत्रकारों के खिलाफ एफआईआर करना पड़ा. महिला द्वारा बच्चों को बहाने की घटना को लॉकडाउन में भूख से हुई मौत बताकर झूठी खबर प्रसारित करने व अफवाह फैलाने के आरोप में मेरठ, राजस्थान व नोएडा के संपादक सहित स्थानीय प्रतिनिधियों पर मुकदमा दर्ज किया गया. इस अफवाह को शुरुआती दौर में फैलाने वाले – आइएएनएस मीडिया लिमिटेड के संपादक व सम्बंधित पत्रकार, मेरठ दैनिक जनवाणी के पत्रकार सलीम अख्तर सिद्दीकी, और हंसराज मीणा, करौली राजस्थान के खिलाफ प्रभारी निरीक्षक गोपीगंज की तहरीर पर एफआईआर दर्ज कर ली गई.

भदोही में पांच बच्चे ही नहीं डूबे, कुछ लोगों ने खबर जिस तरह से पकायी उसमें पत्रकारिता ही डूबी. इस घटना ने भदोही को एक नकारात्मक छवि तो दी है, पत्रकारिता किस कदर अपनी विश्वसनीयता खो रही है, कैसे ऐजेंडेबाजों के हाथ का खिलौना बनती जा रही है, और तथाकथित बड़े पत्रकार किस कदर झूठी खबरों को आगे बढ़ाने में संलिप्त हैं, भदोही इसका एक उदाहरण बन गया है.

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