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भारतीय जीवन मूल्यों की स्थापना में चलचित्र की महती भूमिका – कैलाश चंद्र जी

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भारतीय चित्र साधना द्वारा भैयाजी दाणी न्यास, इंदौर के तत्वाधान में उज्जैन में पहले शॉर्ट फिल्म फेस्टिवल का आयोजन, 24-25 नवंबर, 2019

इंदौर. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ मध्य क्षेत्र के सह प्रचार प्रमुख कैलाश चंद्र जी ने कहा कि कला साधना के विभिन्न क्षेत्रों में से एक चलचित्र विधा की भारतीय मूल्यों की अभिव्यक्ति में सशक्त भूमिका रही है. लेकिन, पिछले 30 -40 वर्षों में सुनियोजित तरीके से हमारी सनातन परंपरा के प्रतिकूल नकारात्मक विघटनकारी दृश्यों व पटकथा को आधार बनाया गया, जिस कारण इन माध्यमों से वांछित रचनात्मक परिणाम प्राप्त नहीं हो सके. हम सब जानते हैं कि इससे पहले चलचित्रों का प्रारंभ हिन्दू देवी-देवताओं की प्रतिमा, स्तुति, मंत्र आदि से होता था जो बाद में लूट, डकैत, हत्या आदि से प्रारंभ होने लगा और फिर पूरी कहानी उसी नकारात्मकता के आसपास चल कर समाप्त होती थी. भारतीय चित्र साधना चलचित्रों के द्वारा समाज जीवन में भारतीय मूल्यों की स्थापना, राष्ट्रीय चरित्रपूर्ण संदेश आदि के प्रचार प्रसार के लिए कृत संकल्पित है.

वे भारतीय चित्र साधना के तत्वाधान में श्री भैयाजी दाणी न्यास इंदौर द्वारा विक्रम कीर्ति मंदिर उज्जैन में आयोजित दो दिवसीय उज्जयिनी शॉर्ट फिल्म फेस्टिवल के उद्घाटन सत्र में मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित कर रहे थे.

कार्यक्रम का शुभारंभ भारत माता के चित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ. उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ मध्य क्षेत्र के संघचालक अशोक जी ने की. उन्होंने उज्जयिनी के प्राचीन महत्व को रेखांकित करते हुए भगवान महाकाल और भगवान श्री कृष्ण के प्रेरणादायी जीवन का उल्लेख किया व समारोह की सार्थकता हेतु शुभकामनाएं दीं. साथ ही कला के विभिन्न क्षेत्रों के साधकों से समाज निर्माण में सकारात्मक मूल्यों की स्थापना हेतु आह्वान किया.

समारोह के प्रथम दिवस तीन सत्रों में लगभग 100 शॉर्ट फिल्मों में से प्रीज्यूरी द्वारा मूल्यांकन के पश्चात् चयनित फिक्शन एवं नॉन फिक्शन श्रेणी की 30 शॉर्ट फिल्मों की स्क्रीनिंग की गई. जिनमें सामाजिक समरसता, शौर्य, सामाजिक चुनौतियां, पर्यावरण संरक्षण, नारी सम्मान आदि विषयों को दर्शाया गया. इन सत्रों के मध्यांतर में लोक गायकों द्वारा कबीर भजन, संगीत बैंड द्वारा गीतों की मधुर धुनों को प्रस्तुत किया गया. मुंबई से आए फिल्म निर्माता राजेश राठी ने सुधी श्रोताओं से ‘दृश्य माध्यमों में नई संभावनाएं’ विषय पर चर्चा की. प्रथम दिवस के समापन में सांस्कृतिक संध्या के अंतर्गत स्थानीय कलाकारों एवं संस्थाओं मालवा कला केंद्र, प्रतिकल्पा और निनाद संस्था द्वारा महाकाल स्तुति, संजा माता, ग्वालन टोली लोक सांस्कृतिक विषयों पर नृत्य प्रस्तुत किए गए. कार्यक्रम का संचालन डॉ. विनोद गुप्ता ने किया.

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