लॉकडाउन के कारण पड़ने वाले प्रभावों को लेकर सुझाया मार्ग
नई दिल्ली. कोरोना संक्रमण से बचने के लिए देश में घोषित लॉकडाउन के कारण उद्योग जगत सहित विभिन्न क्षेत्रों पर प्रभाव पड़ेगा. भारतीय मजदूर संघ ने केंद्र सरकार को पत्र लिख विभिन्न क्षेत्रों पर पड़ने वाले प्रभावों की चर्चा करते हुए राहत के लिए सुझाव भी दिए हैं.
भारतीय मजदूर संघ ने पत्र में कहा है कि कोरोना के कारण अर्थव्यवस्था पर दो प्रकार के प्रभाव हुए हैं. आवश्यक वस्तुओं पर आंशिक प्रभाव हुआ है, दूसरा कुछ उद्योग पूरी तरह से बंद हैं. दवा उद्योग खुले तो हैं, लेकिन इसके लिए कच्चे माल से लेकर श्रम आपूर्ति बाधित हुई है. औद्योगिक ईकाइयों में उत्पादन न होने से ऊर्जा की खपत कम हुई है. इससे ऊर्जा क्षेत्र में कठिनाई चल रही है. टेलीकॉम सेक्टर एक्टिव तो है लेकिन आमदनी गिरने से यह क्षेत्र भी आर्थिक संकट से अछूता नहीं है. कृषि में रबी फसल का कार्य प्रारम्भ हो गया है, लेकिन आवागमन पर प्रतिबंध है. इसके अतिरिक्त श्रम उपलब्धता, फसलों का निर्यात और मांस मछली उत्पादन जैसी गतिविधियां बंद है. ऑयल एवं गैस सेक्टर की बात करें, इसमें आवागमन पर रोक लगने से प्रभाव पड़ा है. लेकिन फिर भी अंतरराष्ट्रीय तेल की कीमतों में कमी आयी है. इसके कारण तेल के बिलों में कमी होगी. इस क्षेत्र में चुनौती तो है, लेकिन यह एक अवसर भी है. यातायात की गतिविधियां बन्द होने के कारण ट्रांसपोर्ट बिलकुल ठप्प है, लेकिन तेल के दाम कम होने से इसमे तेज़ी आने की संभावना है. क्षेत्र के असंगठित मज़दूरों के सामने जरूर चुनौती है, जिससे निपटना आवश्यक रहेगा. बैंकिंग क्षेत्र अर्थवयवस्था की चुनौतियों से सबसे अधिक सीधा प्रभावित होता है. ऋण अदायगी पर प्रतिबंध और कम ब्याज दर से बैंकों को मुनाफा कम होगा. आने वाले समय में एपीएफ और असेट मैनजमेंट एवं नकदी की समस्याएं आने वाली हैं. सूक्ष्म एवं लघु उद्योग अर्थव्यवस्था का प्रमुख क्षेत्र है जो जीडीपी का 30 प्रतिशत होने के साथ ही 10 करोड़ लोगों को रोजगार देता है.
राहत और समाधान के उपाय
भारतीय मजदूर संघ ने विविध क्षेत्रों में समस्याओं को देखते हुए इनसे निपटने के लिए केंद्र सरकार को सुझाव भी दिए हैं. उन्होंने लघु और सूक्ष्म उद्योग को 3 साल की मार्केट गारन्टी के साथ एमएसएमई से सरकारी खरीद अनिवार्य करने का सुझाव दिया है. सरकार कपड़ा एवं हथकरघा उद्योग में गारन्टी स्कीम लाये साथ ही कच्चे माल की आपूर्ति सुनिश्चित करे. 17.6 प्रतिशत जीडीपी में योगदान देने वाले परिवहन और रेलवे को सरकार मजबूत करे. सरकार आर्थिक पैकेज देकर अर्थव्यवस्था के नकारात्मक प्रभाव को कम करे, साथ ही वेज़ सब्सिडी, टैक्स होलीडे, जीएसटी की देनदारियां और लोन मोरेटोरियम आगे बढ़ाए. कृषि और कंज़्यूमर एंड रिटेल सेक्टर में डिमांड बढ़ाने के लिए प्रयास करे, साथ ही मनरेगा जैसी योजनाओं से आम लोगों के पास क्रय शक्ति का विकास किया जा सकता है. इकोनॉमी में व्यवहारगत परिवर्तन का सरकार अध्ययन कर और उस तरह से योजनाएं बनाए, जैसे मांस की मांग में कमी के चलते शाकाहारी पदार्थों पर ध्यान दिया जा सकता है. कोरोना के कारण निजी क्षेत्र ने जिन मज़दूरों को बेरोजगार किया है, उनको रोज़गार देने के लिए सरकार सार्वजनिक उपक्रमों का विस्तार करे. निजी उद्योगों को बढ़ावा देते समय इसके साथ ही सार्वजनिक पूंजी का निर्माण भी किया जाए. साथ ही सामाजिक सुरक्षा की ओर ध्यान देकर शिक्षा, स्वास्थ्य और प्रशिक्षण पर ध्यान देकर मानव संसाधन का विकास करना होगा. गांवों में उत्तरप्रदेश की तर्ज़ पर बेरोजगारों को आर्थिक सहायता प्रदान की जाए ताकि वह आर्थिक नुकसान से प्रभावित न हों. केन्द्र सरकार प्रवासी मज़दूरों के लिए राष्ट्रीय नीति का निर्माण करे जैसा कि इस दिशा में श्रम मंत्रालय ने मज़दूरों का डाटा बेस तैयार करके किया भी है. मज़दूरों को फिर से आर्थिक गतिविधियों से जोड़ना होगा ताकि पलायन से आर्थिक गतिविधियों पर बुरा असर न पड़े.