चंडीगढ़ (अरुण बेरी). भारत का इतिहास ईस्वी सन का मोहताज नहीं बल्कि लाखों वर्ष प्राचीन है और वेद, पुराण, उपनिषद् इतिहास का ही हिस्सा हैं. यह विचार भारतीय इतिहास संकलन समिति के राष्ट्रीय सचिव श्री सुरेन्द्र हंस ने चंडीगढ़ के सैक्टर 44 के सूद भवन में आयोजित समिति के दो दिवसीय प्रांतीय सम्मेलन को संबोधित करते हुये व्यक्त किये. बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग के पूर्व अध्यक्ष दर्पण श्री ठाकुर प्रसाद वर्मा का हिस्टीरियोग्राफ प्रस्तुत करते हुये श्री हंस ने कहा कि पाश्चात्य इतिहासकारों ने षड्यंत्रपूर्वक पूरी दुनिया के इतिहास को ईस्वी सन से जोड़ने की कोशिश की और स्वतंत्रता पश्चात देश के वामपंथी इतिहासकारों ने इतिहास की इस विसंगति को जारी रखा, परंतु भारतीय इतिहास के संदर्भ में इस सिद्धांत को लागू नहीं किया जा सकता. उन्होंने कहा कि हमारी कालगणना इस्वी सन से अत्यंत प्राचीन है. उन्होंने कहा कि भारत में वेदों, पुराणों, उपनिषदों एवं प्रचीन संस्कृत-साहित्य का विशेष स्थान है.
इस सम्मेलन में भारतीय इतिहास का पुनर्लेखन करने की आवश्यकता पर जोर दिया गया. इस अवसर पर श्री राजिंद्र पराशर द्वारा संपादित पुस्तक हिंदू ट्रेडिशन एंड मॉडर्निटी का लोकार्पण किया गया. समिति के संपन्न हुये चुनाव में श्री राजेन्द्र कुमार पराशर को प्रधान, डॉ. अनुराग शर्मा को उपाध्यक्ष, डॉ. राजेश ज्योति को महासचिव, श्री भारत भूषण मेहता को संगठन सचिव, श्री शांतिकांत लोमश को सह-संगठन सचिव व कोषाध्यक्ष, डॉ. नरसिंहचरण पंडा को विद्वत परिषद् प्रमुख नियुक्त किया गया. सम्मेलन को चंडीगढ़ कौंसलर श्री सतिंद्र सिंह, वरिष्ठ पत्रकार विजय सहगल ने भी विचार व्यक्त किये.