करंट टॉपिक्स

भारत में स्वाधीनता की चेतना के नायक हैं महाराणा प्रताप – डॉ. बालमुकुन्‍द

Spread the love

गोरखपुर (विसंकें). मध्यकालीन भारत में महाराणा प्रताप स्वाधीन चेतना के वैसे ही नायक हैं जैसे बीसवीं शताब्दी में भगत सिंह, आजाद, बिस्मिल जैसे क्रान्तिकारी थे. महाराणा प्रताप हमारे वास्तविक नायक हैं, जिनका जीवन शौर्य, संप्रभुता, स्वतंत्रता, जातीय स्वाभिमान का प्रतिमान था. महाराणा प्रताप का नाम भारत के शिखर के अमर-सपूतों में दर्ज है. प्रताप भारत एवं भारतीयता के प्रतीक हैं. राष्ट्रीय स्वाभिमान की रक्षा के लिए प्रताप ने एक दिन भी चैन से नहीं बैठे.

महाराणा प्रताप पीजी कॉलेज जंगल धूसड़ में भारत भारती पखवारा के अन्तर्गत हिन्दुआ सूर्य महाराणा प्रताप की पुण्यतिथि पर आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना के राष्ट्रीय संगठन सचिव डॉ. बालमुकुन्द पाण्डेय ने संबोधित किया. उन्होंने कहा कि महाराणा प्रताप यश, शौर्य और राष्ट्र स्वाभिमान के दैदीप्यमान नक्षत्र हैं. उनका सम्पूर्ण जीवन इतिहास उस अक्षयवट के समान है जो युवाओं को निरंतर प्रेरित करता रहेगा. भारतीय चेतना एवं अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए जीवन भर वन में भटकने का मार्ग महाराणा प्रातप ने वैसे ही चुना जैसे श्रीराम ने राष्ट्र रक्षा में आततायियों का वध करने के लिए चौदह वर्ष का वनवास चुना था.

उन्होंने कहा कि साम्राज्यवादी एवं साम्यवादी मानसिकता के कारण भारतीय इतिहास में उन्हें वह स्थान नहीं मिला जो मिलना चाहिए था. महाराणा प्रताप के जीवन की गौरव गाथा को जानबूझकर नजरअन्दाज एवं विकृत कर दिया गया. डीडीयू में राजनीति शास्त्र के डॉ. अमित कुमार उपाध्याय ने कहा कि महाराणा प्रताप और उनका जीवन भारत की पहचान है. जब भी राष्ट्र पर संकट होगा, राष्ट्र खतरे में होगा, स्वधर्म एवं देश का स्वाभिमान खतरे में होगा, उस समय महाराणा प्रताप का त्याग बलिदान अमरज्योति का कार्य करेगी.

कार्यक्रम में प्रस्तावना रखते हुए और स्वागत करते हुए डॉ. प्रदीप कुमार राव ने कहा कि भारत-भारती पखवारा में स्वामी विवेकानन्द से लेकर महाराणा प्रताप, नेताजी सुभाष चन्द्र बोस और गणतन्त्र दिवस तक की यात्रा पूरी करने वाला यह आयोजन भारत और भारतीयता को युवाओं के जीवन में लाने का प्रेरणास्पद प्रयत्न है. ताकि छात्र निजी जीवन के साथ-साथ देश और समाज के प्रति भी अपनी जिम्मेदारी का दायित्व निर्वहन कर सकें. कार्यक्रम की शुरूआत दीप प्रज्ज्वलन, सरस्वती वन्दना एवं राष्ट्रगान के साथ तथा समापन वन्देमातरम के साथ हुआ.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *