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मंदिर में बदल गया चर्च, वाल्मीकि समुदाय के 72 लोग हिंदू धर्म में लौटे

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Mandir mein badal gaya Churchअलीगढ़ में सेवंथ डे एडवेंटिस्ट्स से जुड़ा एक चर्च शिव मंदिर में तब्दील हो गया. 1995 में हिंदू धर्म छोड़कर ईसाई बने वाल्मीकि समाज के 72 लोगों ने फिर से हिंदू धर्म अपना लियाऔर जिस चर्च में पहले क्रॉस लगा था, उसे हटाकर वहां पर शिव की तस्वीर लगा दी. कई हिंदू संगठनों ने इसे उनकी ‘घर वापसी’ कहा है.

मंगलवार, 26 अगस्त को अलीगढ़ से 30 किलोमीटर दूर असरोई में चर्च के अंदर व्यापक स्तर पर शुद्धिकरण किया गया. 19 साल पहले ईसाई बने 72 लोगों ने हिंदू धर्म अपना लिया. बताया जा रहा है कि इस चर्च में लगे क्रॉस को हटाकर गेट के बाहर रख दिया गया है और अंदर शिवजी की तस्वीर लगा दी है. जैसे ही इन लोगों के एक बार फिर हिंदू धर्म स्वीकार करने की खबर फैली, इलाके में तनाव फैलना शुरू हो गया. लोकल लोकल इंटेलिजेंस यूनिट मौके पर पहुंच गई. कुछ ग्रामीणों ने बताया कि अब शिव की तस्वीर को भी हटाकर एक घर में रख लिया गया है.
संघ प्रचारक और धर्म जागरण संगठन के प्रमुख श्री खेम चंद्र ने कहा, ‘इसे धर्मांतरण नहीं, घर वापसी कहते हैं. वे अपनी मर्जी से हिंदू धर्म छोड़कर गये थे और जब उन्हें लगा कि उन्होंने गलती की है, तो वे वापस आ गये.’ 72 वाल्मीकियों के पुनर्धर्मांतरण पर श्री खेम चंद्र ने कहा, ‘हम उनका स्वागत करते हैं. हम अपने समाज को बिखरने नहीं देंगे, हमें इसे समेटकर रखना होगा.’ उन्होंने कहा कि ये लोग कई सालों से ईसाई धर्म मान रहे थे. मैं इनसे कई बार मिला और इनसे अपने फैसले पर एक बार फिर से विचार करने को कहा.

एक बार फिर हिंदू धर्म में लौटे अनिल गौड़ का कहना है, ‘हम जाति व्यवस्था से परेशान थे और इसी वजह से हमने अपना धर्म बदला था. लेकिन हमने पाया कि ईसाइयों के बीच भी हमारी स्थिति कुछ ठीक नहीं है. हिंदू थे, तब हमारा कोई स्तर नहीं था और हमें छोटे काम करने तक सीमित रहना पड़ता था. 19 साल तक हम ईसाई रहे, लेकिन हमने पाया कि वे भी हमारे समाज की सहायता करने नहीं आये. बड़े दिन की कोई सेलिब्रेशन नहीं होती थी. बस मिशनरियों ने एक चर्च बना दिया. और कुछ नहीं.’

78 साल के राजेंद्र सिंह कहते हैं कि वह वापस हिंदू धर्म में आकर बेहद खुश हैं. उन्होंने कहा, ‘एक दिन मैं चर्च के बाहर सोया था कि मुझे लकवा का दौरा पड़ा. मैं हिल तक नहीं पा रहा था. मुझे यह पिछले साल हुआ था. तब से लेकर आज तक मैं सोच रहा हूं कि यह मुझे माता देवी ने सजा दी है अपना विश्वास छोड़ने के लिये.’

इस बीच, असरोई गांव में अगर कोई किसी से पुनर्धर्मांतरण के बारे में पूछता है, तो लोग अपने घरों मे चले जाते हैं तो कुछ कहते हैं कि उन्हें इस बारे में कुछ नहीं मालूम. साथ ही इलाके में पुलिस की मौजूदगी से लोगों में बेचैनी बढ़ गई है.

स्रोत: नव भारत टाइम्स

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