मद्रास उच्च न्यायालय ने 10 जनवरी को तमिलनाडु राज्य सरकार को 10वीं कक्षा की सामाजिक विज्ञान की पुस्तक से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संबंध में तथ्यहीन/आपत्तिजनक भाग को हटाने का निर्देश जारी किया. सुनवाई की अगली तारीख 22 जनवरी तय की गई है, उस समय सरकार को शपथ पत्र देकर बताना होगा कि कैसे पुस्तकों से सामग्री को हटाया जा सकता है.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ चैन्नई के स्वयंसेवक पी चंद्रशेखरन ने मद्रास उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी. याचिका में कहा गया था कि 10वीं कक्षा की सामाजिक विज्ञान की पुस्तक में लिखा है कि “आरएसएस ने मुस्लिम विरोधी रुख अपनाया है.” अदालत में सुनवाई के दौरान चंद्रशेखरन के वकील डॉ. जी बाबू ने दलील दी कि पुस्तक में ऐसा बताया जा है जैसे स्वतत्रंता के लिए संघर्ष में आरएसएस ने मुस्लिम विरोधी रूख अपनाया हो, जिस कारण देश का बंटवारा हुआ. जबकि यह तथ्य पूरी तरह से गलत है. संघ ने कभी भी किसी धर्म के खिलाफ कोई रूख नहीं अपनाया और हमेशा धर्म के आधार पर देश के बंटवारे के फैसले का विरोध किया. इस तरह की तथ्य विद्यार्थियों के मन में गलत राय बनाते हैं, और उनके दिमाग को परिवर्तित करते हैं.
सुनवाई के पश्चात उच्च न्यायालय ने आरएसएस के पक्ष में फैसला सुनाते हुए राज्य सरकार को 10वीं कक्षा की समाजिक विज्ञान की पुस्तक से आपत्तिजनक सामग्री हटाने का आदेश दिया.