मेरठ(विसंके). सामाजिक समरसता मंच मेरठ महानगर द्वारा महर्षि बाल्मीकि की जयंती के अवसर पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें बाल्मीकि समाज के मेधावी छात्र-छात्राओं को पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया तथा सामाजिक कार्यों में लगे वरिष्ठजनों का भी शॉल व प्रतीक चिह्न प्रदान कर सम्मान किया गया.
कार्यक्रम में सामाजिक समरसता मंच के प्रांत संरक्षक फूल सिंह ने अपने विचार रखते हुये कहा कि महर्षि बाल्मीकि ने ही भगवान राम के दर्शन देश को ही नहीं पूरे संसार को कराये इसलिये उनका स्थान सर्वोच्च है. लेकिन कैसी विडम्बना है कि राम के मंदिर में ही बाल्मीकि भगवान का स्थान नहीं होता. वास्तव में हिन्दू समाज में सच्ची समरसता तभी आयेगी जब राम के मंदिर में महर्षि बाल्मीकि एवं बाल्मीकि के मंदिर में राम की मूर्ति होगी. इसके बिना ये मंदिर अधूरे हैं.
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता राष्ट्रदेव पत्रिका के संपादक अजय मित्तल ने कहा कि साक्षात् वेद ही महर्षि बाल्मीकि के मुख से रामायण रूप में प्रकट हुये.इसीलिये वाल्मीकीय रामायण की वेद के समान प्रतिष्ठा है. महर्षि वाल्मीकि आदिकवि और विश्व के समस्त कवियों के गुरू हैं. उनकी रामायणसंसार के समस्त काव्यों का बीज है– काव्यबीजं सनातनम् (ब्रह्मपुराण 1/30/47). वेदव्यास आदि सभी कवियों ने इसी का अध्ययन कर पुराण, महाभारत आदि का निर्माण किया है. व्यास जी ने अनेक पुराणों में व महाभारत में भी रामायण का माहात्म्य गाया है. रामचरित मानस के रचयिता तुलसीदास ने महर्षि वाल्मीकि की वन्दना करते हुये कहा – वाल्मीकि भये ब्रह्म समाना (वाल्मीकि ब्रह्मा के समान है). बौद्ध व जैन परंपरा में भी अनेक रामकथायें हैं. इन सबकी प्रेरणा वाल्मीकि जी ही हैं.
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि सांसद राजेन्द्र अग्रवा, विशिष्ट अतिथि विजयपाल सिंह तोमर, सुन्दरलाल भुरण्डा एवं महापौर हरिकान्त अहलूवालिया ने भी अपने विचार रखे. कार्यक्रम की अध्यक्षता हरिमोहन भाटिया एवं संचालन जी.सी. निगम ने किया.