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मीडिया समाज को सही राह दिखाने में अपनी निर्णायक भूमिका तय करे – नरेंद्र कुमार जी

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शिमला (विसंकें). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सह प्रचार प्रमुख नरेंद्र कुमार जी ने कहा कि सकारात्मक समाज के निर्माण में पत्रकार की भूमिका एक निर्देशक की है, ऐसे में देश को दिशा देने के लिए पत्रकारों को निष्पक्षता से काम करना होगा. उन्होंने एजेंडे के तहत चलने वाली पत्रकारिता को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि आज की पत्रकारिता का स्वरूप नकारात्मक होता जा रहा है.

नरेंद्र जी नारद जयंती के अवसर पर शिमला में विश्व संवाद केंद्र द्वारा आयोजित पत्रकार सम्मान समारोह में मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित कर रहे थे. कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में सेवानिवृत प्रशासनिक अधिकारी एवं पूर्व निदेशक सूचना एवं जनसंपर्क विभाग हिमाचल प्रदेश डॉ. एमपी सूद जी उपस्थित रहे. कार्यक्रम की अध्यक्षता दूरदर्शन शिमला की सहायक निदेशक नंदिनी मित्तल जी ने की.

नरेंद्र जी ने कहा कि मीडिया दुर्भाग्य से नकारात्मक खबरों को ही अधिक प्राथमिकता देता है. अभी लोग जेएनयू की घटना को नहीं भूले हैं, जिसमें भारत के टुकड़े करने की नारेबाजी हुई और संसद पर हमले के मुख्य आरोपी अफजल गुरू की बरसी मनायी गयी थी. उस घटना पर कार्रवाई को मीडिया में इस प्रकार प्रचारित किया गया, मानो अभिव्यक्ति की आजादी पर एक बड़ा संकट खड़ा हो गया हो. दूसरी ओर हाल ही में जेएनयू में ही सुकमा में मारे गये 25 सीआरपीएफ के जवानों के सम्मान में श्रद्धाजंलि कार्यक्रम रखा गया तो उस कार्यक्रम के संयोजक प्रोफेसर पर पथराव किया गया. इसके साथ ही उनको जान से मारने की धमकियां भी दी गयीं, लेकिन दुख की बात है कि मीडिया में इस खबर को तवज्जो नहीं दी गयी. उन्होंने लोकप्रिय मीडिया के एक भाग सिनेमा के बारे में कहा कि देशभक्ति और राष्ट्रवादी विचारों को आधार में रखकर ही फिल्म निर्माण किया जाए ताकि लोग समाज निर्माण की दिशा में काम कर पाएं. उन्होंने सिनेमा के दोषों पर प्रहार करते हुए कहा कि आज नारद जैसे विद्वान, दार्शनिक और दूरदर्शी पत्रकार को भी सिनेमा में एक हंसी मजाक और चुगलखोर की तरह बना दिया है. उन्होंने मीडिया के सभी स्तंभों से आग्रह किया वे समाज को सही राह दिखाने के लिए अपनी निर्णायक भूमिका तय करें, जिससे भारत की सही छवि को विश्व के सामने प्रस्तुत किया जा सके.

मुख्य अतिथि डॉ. एमपी सूद जी ने कहा कि नारद समाज में सूचनाओं को लोक हित में संप्रेषण के लिए जाने जाते हैं. भारत का पहला साप्ताहिक उदंत मार्तंड 30 मई 1826 को निकाला गया था, वह दिन भारतीय पत्रकारिता के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण था. उस दिन नारद जयंती थी और यह संयोग नहीं था, बल्कि आदि पत्रकार नारद के प्रति सम्मान का प्रकटीकरण था. उन्होंने राजनीतिक विद्वेषों के लिए पत्रकारिता के इस्तेमाल पर खेद जताया.

कार्यक्रम अध्यक्ष नंदिनी मित्तल जी ने कहा कि आज हर पत्रकार को विशेष ध्यान रखना होगा कि उनके द्वारा प्रेषित समाचार का समाज पर क्या प्रभाव पड़ रहा है. अगर समाज पर किसी समाचार का नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है तो उसका दायित्व भी पत्रकार को समझना होगा. पत्रकारिता के बारे में अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि आज 24 घंटे के चैनलों की होड़ में किसी समाचार पर अध्ययन करने का समय ही नहीं है. किसी विशेष घटना पर जिस पर किसी का ध्यान न जाये और वह समाज के लिए हितकर हो ऐसी पत्रकारिता विलुप्त होती जा रही है.

कार्यक्रम में वरिष्ठ पत्रकार वर्ग में दैनिक जागरण के नालागढ़ से संवाददाता ओमपाल सिंह, महिला पत्रकार वर्ग में दिव्य हिमाचल की कुल्लू जिला से पत्रकार शालिनी रॉय भारद्वाज, युवा वर्ग में पंजाब केसरी के अनिल भारद्वाज (हैडली), वीडियो जर्नलिस्ट दूरदर्शन शिमला के सुभाष शर्मा और फोटो जर्नलिज्म में दिव्य हिमाचल के विक्रम बधान को सम्मानित किया गया. कार्यक्रम में प्रांत प्रचारक संजीवन जी, पत्रकार व गणमान्यजन उपस्थित थे.

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