हरिद्वार. देश के महत्वाकांक्षी मिशन ‘मॉम’ के पूरा होने के लिये उत्तराखंड के चार युवा वैज्ञानिकों की मेहनत शामिल है. ये चार वैज्ञानिक मंगलयान को प्रक्षेपित करने वाले जीएसएलवी रॉकेट बनाने वाली टीम में काम कर रहे थे. लांचिग करने के लिये यह युवा वैज्ञानिक लगातार दो दिनों तक जागते रहे.
हरिद्वार के शिवालिकनगर में रहने वाले मैकेनिकल इंजीनियर अमित कुमार सिंह और कोटद्वार के सुनील कैंथोला 2006 से इसरो में काम कर रहे हैं. बहादराबाद के तरुण जायसवाल और काशीपुर के राजेंद्र भी इसरो में वैज्ञानिक हैं. मंगलयान लांच करने वाले भू-स्थिर उपग्रह प्रक्षेपण यान (जीएसएलवी) राकेट की असेंबिलिंग कर उसे तीनों चरणों के लिये तैयार किया.
अमित कुमार सिंह ने बताया कि मंगलयान भारी उपग्रह था, उसे मंगल की कक्षा में स्थापित करने के लिये जीएसएलवी राकेट की जरूरत थी इसके लिये 22 से 24 सितंबर तक 48 घंटे तक लगातार जागना पड़ा था. बताया कि फिलहाल उनकी टीम जीएसएलवी मार्क-3 के लांचिग की तैयारी में व्यस्त है. अगर इसका परीक्षण सफल हुआ तो भारत दुनिया के टॉप थ्री देशों में शामिल हो जायेगा.