मेरठ. विश्व संवाद केन्द्र पर दीनदयाल उपाध्याय जयन्ती पर उनको श्रद्धांजलि दी गयी.विश्व संवाद केन्द्र प्रति माह एक पत्रकार लेख की जयन्ती अथवा पुण्यतिथि पर किसी महापुरुष को याद करता है. कार्यक्रम का शुभारम्भ दीनदयाल जी के चित्र के सम्मुख दीप जलाकर किया गया.
गोष्ठी के मुख्य वक्ता राष्ट्रदेव के सम्पादक अजय मित्तल ने कहा कि दीनदयाल जी राजनीति में अध्यात्म तथा संस्कृति के राजदूत थे. वे राजनेता के साथ ही राजर्षि व दार्शनिक थे. वे सत्तावादी नहीं, सिद्धांतवादी राजनीति के प्रबल पक्षधर थे. 1953 मे राजस्थान विधानसभा के आठ जनसंघ विधायकों में से पाँच को दल की नीति के विरुद्ध जमींदारी उन्मूलन का विरोध करने पर तुरन्त निष्कासित कर दिया था.
दीनदयाल जी के साथ मैत्री सम्बंधों के चलते लोहिया जी जनसंघ के कार्यकर्ता प्रशिक्षण शिविरों में आते थे. भारत पाकिस्तान महासंघ बनने के प्रश्न पर राममनोहर लोहिया जी ने आपका साथ दिया और सामूहिक वक्तव्य भी. उन्होंने स्वदेश, राष्ट्रधर्म, पाञ्चजन्य का कुशल सम्पादन भी किया और अनेक पुस्तकें भी लिखी. उन्होंने राजनीति में प्राचीन भारतीय चिन्तन के अनुसार एकात्म मानव दर्शन दिया.
कार्यक्रम में वरिष्ठ पत्रकार रामगोपाल, चरण सिंह स्वामी एवं शीलेन्द्र चौहान सहित अनेक लोगों ने विचार रखे.