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राजा चौरसिया को देवपुत्र गौरव सम्मान, केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल ने प्रदान किया सम्मान

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इंदौर. 75 वर्षीय साहित्यकार राजा चौरसिया ने कहा कि बच्चों के लिए लेखन करने वाले बाल साहित्यकारों में बच्चों जैसी सरलता होना आवश्यक है. हमारी उम्र भले ही कितनी भी हो जाए, लेकिन हमें अपने भीतर के बच्चे को सदैव जीवित रखना चाहिए. मैं जीवन भर बच्चों के लिए लिखता रहा, परंतु पुरस्कारों के लिए की जाने वाली जोड़-तोड़ मुझे आई ही नहीं. मेरी ग्रामीण पृष्ठभूमि मुझे विनम्र तो बनाती है, परंतु आधुनिक युग की चाटुकारिता मेरे पास तक नहीं फटक पाती.

राजा चौरसिया एक समारोह में देवपुत्र गौरव सम्मान से सम्मानित किए जाने के पश्चात संबोधित कर रहे थे. 40 वर्षों से निरंतर प्रकाशित बाल पत्रिका देवपुत्र द्वारा देवपुत्र गौरव सम्मान समारोह 18 फरवरी, 2020 को आयोजित किया गया. देवपुत्र द्वारा बाल साहित्य में महत्वपूर्ण अवदान के लिए प्रदान किए जाने वाले प्रतिष्ठित सम्मान का यह आठवां संस्करण था. बाल साहित्यकार राजा चौरसिया के सरल व्यक्तित्व का प्रभाव श्रोता दीर्घा पर ऐसा पड़ा कि पूरी दीर्घा ने अपने स्थान पर खड़े होकर उनका मानवंदन किया.

समारोह के मुख्य अतिथि केंद्रीय संस्कृति मंत्री प्रह्लाद पटेल ने कहा कि “बाल साहित्य को लेकर हमारे यहां गंभीरता और जागरूकता की कमी रही है. साहित्य के क्षेत्र में बाल साहित्य उपेक्षित रहा है. सरकारी स्तर पर भी इसकी इतनी चिंता नहीं की गई. देवपुत्र के कार्यक्रम में आने के बाद मुझे इस बात का दायित्वबोध हुआ है कि मैं साहित्य अकादमी के नियमित कार्यों के साथ बाल साहित्य को भी प्रोत्साहन देने वाले उपक्रम प्रारंभ करुं. बच्चों को संस्कार देने वाला श्रेष्ठ बाल साहित्य और अधिक मात्रा में प्रकाशित हो और बाल पाठकों तक पहुंचे, इसका प्रयास शासन के स्तर पर किया जाएगा.”

उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि ” ठेठ ग्रामीण पृष्ठभूमि के एक सीधे सरल रचनाकार को मुझे सम्मानित करने का अवसर मिला है. मुझे यह जानकर और आनंद हो रहा है कि देवपुत्र गौरव सम्मान अखिल भारतीय स्तर पर दिए जाने वाला गरिमामय सम्मान है, जिसमें शाल, श्रीफल, अभिनंदन पत्र सहित सम्मान निधि दी जाती है. आधुनिक संचार माध्यमों से दूर-दूर तक कोई संबंध नहीं रखने वाले राजा चौरसिया साइकिल पर घूम-घूम कर बच्चों को बाल साहित्य वितरित भी करते हैं और स्वयं कविता कहानियां भी सुनाते हैं. सरस्वती बाल कल्याण न्यास ने इस छिपे हुए हीरे को खोजकर समाज पर बड़ा उपकार किया है.”

न्यास के अध्यक्ष कृष्ण कुमार अस्थाना ने स्वागत उद्बोधन दिया. कार्यक्रम का संचालन देवपुत्र के संपादक डॉ. विकास दवे ने किया. सरस्वती वंदना गोपाल माहेश्वरी ने प्रस्तुत की. आभार प्रबंध न्यासी राकेश भावसार ने व्यक्त किया.

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