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‘लव जेहाद’ की राष्ट्रीय एजेंसी से जांच जरूरी

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मुस्लिम युवकों द्वारा हिन्दू लड़कियों की छेड़खानी और उन्हें प्रेमजाल में फंसाकर धर्मांतरण कराने का षडयन्त्र काफी समय से चल रहा है, जिसके पीछे का उद्देश्य मुस्लिम जनसंख्या को तेजी से बढ़ाना तथा हिन्दुओं मे भय व्याप्त करना है. इस षड़यन्त्र को लव जेहाद के नाम से जाना जाता है. इसके चलते हिन्दू युवतियों का स्कूल इत्यादि आना जाना भी बहुत कठिन हो गया है.

मुस्लिम युवक सरकार और कानून से कितने बेखौफ होकर इस प्रकार की घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं, इसका उदाहरण 17 अप्रैल 2014 की रात्रि को एक मुस्लिम युवक वसीम द्वारा हिन्दू युवती नेहा वर्मा की मेरठ शहर के बीचों – बीच (जीमखाना मैदान पर) गोली मारकर हत्या कर दी गयी.

ताजा घटनाक्रम गांव सरावा , निकट खरखौदा जिला मेरठ का है. 29 जून 2014 एक हिन्दू युवती को नौकरी लगवाने के नाम पर हापुड़ स्थित एक मदरसे में रखा गया, उसके बाद गढ़मुक्तेश्वर के पास एक मदरसे में ले जाकर उसका धर्मपरिवर्तन कराया गया. इस बीच, उसके साथ राक्षसी कृत्य भी होते रहे. तत्पश्चात उसे मुजफ्फरनगर स्थित एक मदरसे में कड़ी निगरानी में रखा गया, वहां से वह किसी तरह भागने में कामयाब हो गयी. मेडिकल रिपोर्ट के अनुसार बलात्कार की पुष्टि हो चुकी है. तथा ऑपरेशन के माध्यम से उसके गर्भाशय को भी निकाल दिया गया है. उसी लड़की के अनुसार मदरसे में और भी लड़कियों को बन्धक बनाकर रखा गया है, जिन्हें विदेशों में भी भेजे जाने की आशंका है. इनका उपयोग मुस्लिम जनसंख्या बढ़ाने व आतंकवादी वारदात कराने में भी किया जाता है.

सन 2001 में भारत की संसद पर हमलें में 10 साल की सजा प्राप्त आतंकी शौकत गुरु की बीबी अफसान गुरु पहले एक हिन्दू युवती थी, जिसे तथ्यों को छुपाने के आरोप में पांच वर्ष की सजा सुनायी गयी थी.

पिछले कुछ वर्षों से इस प्रक्रार की घटनाओं की बाढ़ सी आ गयी है. इन घटनाओं का संज्ञान लेते हुए मई 2006 में उत्तरप्रदेश उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ के माध्यम से न्यायमूर्ति राकेश शर्मा ने उत्तर प्रदेश सरकार को आदेश दिया था कि सरकार यह पता लगाये कि इतनी बड़ी संख्या में हिन्दू युवतियों का धर्मान्तरण क्यों हो रहा है. इसी प्रकार का आदेश 2009 में केरल और कर्नाटक हाईकोर्ट ने भी दिया है. लेकिन राज्य सरकारों की इच्छा शक्ति प्रबल न हाने के कारण जांच केवल औपचारिकता रह जाती हैं.

इस प्रकार के षड़यन्त्रों में मदरसों की अहम भूमिका पहले से ही रहती है. ये मदरसे हमेशा से ही भारत के अस्तित्व को समाप्त करने के प्रयासों में संलिप्त हैं. 1947 में 10 सितम्बर को गृह युद्ध छेड़ने हेतु बहुत बड़ी संख्या में मदरसों में हथियार होने की सूचना पर तत्कालीन केन्द्रीय गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल ने ग्वालियर से सेना बुलाकर मदरसों में तलाशी अभियान के माध्यम से बड़ी संख्या में हथियार बरामद कराये थे, जिस कारण 10 सितम्बर को हाने वाले गृहयुद्ध को टाला जा सका.

इस घटना को डा. भगवान दास “भारत रत्न 1955“ ने अपने एक लेख में लिखा, “ भारतीय संविधान के अनुच्छेद 30(1) के अनुसार, अल्पसंख्यकों को अपनी धार्मिक, शैक्षिणिक संस्थायें बनाने का अधिकार है, परन्तु उन संस्थाओं में इस प्रकार के कुकर्म करना संविधान प्रदत्त मूल अधिकार का खुला उल्लंघन है.”

इन षडयंत्रों की जांच किसी राष्ट्रीय जांच एजेन्सी से कराया जाना बहुत आवश्यक है, ताकि राष्ट्र और समाज को विकृत होने से बचाया जा सके.

(लेखक देवेन्द्र कुमार विश्व संवाद केन्द्र मेरठ से संबद्ध हैं)

 

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