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लैंड नहीं मदरलैंड के लिए मरता है सैनिक: इंद्रेश कुमार

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Indresh ji at nav srijan shivirहरिद्वार, 29 नवंबर. (मीडिया सेंटर) मातृभूमि सिर्फ भूमि का टुकड़ा नहीं है. यह नागरिकों की पहचान है. लैंड को बेचा खरीदा जा सकता है, उसका सौदा भी किया जा सकता है लेकिन लैंड कभी मदर लैंड नहीं हो सकता है. मदरलैंड के लिए प्रत्येक आदमी मरता जीता है. मदरलैंड के लिए सीमा पर सेना का जवान हंसते हुए गोली खाता है. क्रांतिकारी शहीद होता है. विदेशी कहता है इट इज लैंड ओनली लेकिन भारतीय कहता है इट इज मदरलैंड ओनली. प्रत्येक व्यक्ति की पहचान उसका देश होता है.

यह कहना है आरएसएस के अखिल भारतीय कार्यकारिण सदस्य इंद्रेश कुमार का. श्री कुमार आज यहां पतंजलि योगपीठ द्वितीय में आरएसएस द्वारा आयोजित तीन दिवसीय नवसृजन शिविर के दूसरे दिन चतुर्थ सत्र को बतौर मुख्य वक्ता संबोधित कर रहे थे.

उन्होंने कहा कि देश के बाहर व्यक्ति की पहचान उसके देश से होती धर्म से नहीं. इसलिए हमारी पहचान हिन्दी, हिन्दू,हिन्दुस्तान है. दुनिया में सिर्फ हम ही है जिसकी पहचान और राष्ट्रीयता हिन्दुस्तानी है. उन्होंने एक उदाहरण देते हुए कहा कि 1940 में ढाका के लोगों की नागरिकता भारतीय थी, 1947 में पाकिस्तानी हुई और बाद में बांग्लादेशी हुई. इस तरह ढाका के लोग पैदा हुए भारतीय, जवान हुए पाकिस्तानी और बुजुर्ग हुए बांग्लादेशी के तौर पर. हम कहते है कि वे मरे भारतीय होकर तो दुनिया की बहुत बड़ी समस्या का हल हो जाए.

Indresh ji ko sunte shivirarthiउन्होंने कहा कि दुनिया के कई देश है जिनके कई नाम है लेकिन उनकी नागरिकता उनके देश के नाम से ही पहचानी जाती है. राष्टवाद ही विष्व के अन्दर षांति और समन्वय का नाम है. इंद्रेश जी ने कहा कि दुनिया में एकमात्र हमी सेक्युलर है क्योंकि हम सभी के पूजा स्थलों पर जाते है जबकि जो हमें कटटर कहते है वह अपने धर्मस्थलों के अलावा किसी अन्य के यहां नहीं जाते है. यदि वे सेक्युलर है तो हिन्दू सुपर सेक्युलर है. उन्होंने कहाकि हिन्दुओं को अब ऐसे भ्रमों से दूर होना होगा.

कार्यक्रम को फार्मा एंड फार्मर्स के सहसंस्थापक मनीश कुमार ने भी संबोधित किया. जबकि कार्यक्रम में उपस्थित योग गुरू नवदीप जोशी ने लोगों को योग के बारे में जानकारी दी. उन्होंने लोगों को कपालभांति, अनुलोम विलोम आदि का अभ्यास भी कराया.

इस दौरान क्षेत्र संघचालक दर्षनलाल, प्रांतसंघ चालक चंद्रपाल सिंह नेगी, प्रांतकार्यवाह लक्ष्मी प्रसाद जायसवाल, सहप्रांत कार्यवाह दिनेश सेमवाल, संस्कृत भारती के क्षेत्र संगठन मंत्री जयप्रकाश, क्षेत्र संपर्क प्रमुख शशिकांत दीक्षित, क्षेत्र सेवा प्रमुख गंगाराम, क्षेत्र प्रचारक प्रमुख किशनचंद जी प्रमुख रूप से उपस्थित रहे.

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