जबलपुर. यहां से लगभग 150 किलोमीटर दूर स्थित वनवासी जनपद डिंडौरी के बैगा छात्र अब अपनी ही भाषा बैगानी में अध्ययन करेंगे. बैगाओं की विलुप्त हो रही बैगानी भाषा को संजोने के प्रयास अब तेज हो गये हैं. राज्य शिक्षा केन्द्र ने बैगाचक क्षेत्र में संचालित विद्यालयों में अध्ययनरत बैगा छात्रों को अध्यापन कार्य कराने के लिये उनकी ही बैगानी भाषा में शब्दावली तैयार कराई है. शीघ्र ही विद्यालयों में शिक्षक बैगा छात्र-छात्राओं को बैगानी शब्दावली से अध्यापन कार्य कराते दिखायी देंगे.
बैगानी शब्दावली को संजोने का दायित्व बजाग के बीआरसी धनेश परस्ते को सौंपा गया है. उनके द्वारा बैगाओं की प्रचलित भाषा का बारीकी से अध्ययन कर पुस्तकों के हिन्दी शब्दावली को बैगानी भाषा में बदलकर शब्दावली तैयार की जा रही है. बैगा छात्रों को हिन्दी भाषा की शब्दावली भी समझने में परेशानी हो रही थी. इन्हीं सब समस्याओं को देखते हुये इस प्रकार की व्यवस्था की जा रही है. शब्दावली तैयार कर पहले उन विद्यालयों में अध्यापन कार्य करा रहे शिक्षकों को भी बैगानी शब्दावली का प्रयोग करने के लिये प्रशिक्षित किया जायेगा.
विलुप्त हो रही बैगानी भाषा
बैगाचक क्षेत्र में बैगानी भाषा विलुप्त होने के कगार पर है. बैगानी शब्दावली बनने से उन बैगा छात्र-छात्राओं को भी लाभ होगा, जिन्हें हिन्दी समझने में कठिनाई होती है. सबसे पहले इसका प्रयोग प्राथमिक विद्यालय में किया जायेगा. यह प्रयोग यदि सफल रहा तो आसपास के जिलों के बैगा बाहुल्य ग्रामों में संचालित विद्यालयों में इसे लागू किया जायेगा.
जिला समन्वयक, सर्व शिक्षा अभियान शिव कुमार कोष्टी ने बताया कि राज्य शिक्षा केन्द्र के निर्देशन में बैगानी भाषा पर शब्दावली बनाने की जिम्मेदारी डाइट प्राचार्य को सौंपी गई है. उन्हीं के मार्गदर्शन में बीआरसी बजाग द्वारा शब्दावली बनाने का कार्य किया जा रहा है.