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विश्व शांति के लिए भारत का शक्तिशाली राष्ट्र बनना आवश्यक – सुहासराव हिरेमठ जी

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jaipur-1जयपुर (विसंकें). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सेवा प्रमुख सुहासराव हिरेमठ जी ने कहा कि विश्व शांति के लिए भारत का शक्तिशाली राष्ट्र बनना आवश्यक है. जब तक भारत शक्तिशाली नहीं बनेगा, दुनिया के किसी भी देश में चलने वाला आतंकवाद समाप्त नहीं होगा. इसलिए समाज को संगठित करते हुए राष्ट्र को वैभव सम्पन्न बनाना हमारा कर्तव्य है. सुहासराव जी मंगलवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, जयपुर विभाग के विजयादशमी उत्सव में उपस्थित स्वयंससेवकों एवं नागरिकों को संबोधित कर रहे थे.

उन्होंने कहा कि भारत को पाकिस्तान से ज्यादा चीन से खतरा है. महत्वाकांक्षी और विस्तारवादी नीति पोषक चीन ने तिब्बत पर अधिकार कर लिया है. अब उसकी भारत पर नजर है. सीमाओं पर हो रहे आक्रमणों की रक्षा तो सेना कर रही है, लेकिन देश में हो रहे आर्थिक आक्रमण से समाज को संघर्ष करना होगा. विदेशी आक्रमणों का सामना ‘स्व’ के प्रकटीकरण से ही हो सकता है. उन्होंने स्वदेशी वस्तुओं को अपनाने का आह्वान किया. जीवन में स्व का जागरण करना हर देशभक्त नागरिक का कर्तव्य है.

उन्होंने कहा कि विजयादशमी विजय का विश्वास जागृत कर आसुरी प्रवृतियों को ध्वस्त करने वाला दिन है. विजय के लिए शक्ति आवश्यक है. यह सामर्थ्य की उपासना का संदेश देने वाला त्यौहार है. सामर्थ्य केवल शस्त्रों में नहीं होता, उसके लिए मनोबल और प्रबल इच्छा शक्ति की जरूरत होती है.

jaipur-3सुहासराव जी ने कहा कि पिछले दिनों जम्मू- कश्मीर के उरी में सेना के शिविर पर आतंकी हमला हुआ. इससे समाज में निराशा और आक्रोश का वातावरण बन गया था. लेकिन हमारी सेना ने सर्जिकल स्ट्राइक के माध्यम से पाक अधिकृत कश्मीर में जाकर आतंकी शिविरों को ध्वस्त कर दिया. यह तब संभव हुआ, जब जागृत समाज ने समर्थ और मजबूत नेतृत्व को चुना. इस आनन्द के अवसर पर सेना व नेतृत्व का अभिनंदन है.

अखिल भारतीय सेवा प्रमुख ने कहा कि किसी भी राष्ट्र की शक्ति संगठित समाज पर निर्भर करती है. जापान और इज़राइल इसके उदाहरण है. प्रतिकूलताओं के बाद भी अपने राष्ट्रीय भाव और संगठित शक्ति के कारण दोनों ही देशों ने पराक्रम हासिल किया है. इसलिए शक्ति सम्पन्न संगठित राष्ट्र बनाने के लिए हमें संकल्प लेना होगा. श्री गुरूगोविंद सिंह जी का स्मरण करते हुए कहा कि यह उनका 350वां जयंती वर्ष है. गुरू गोविंद सिंह जी ने जाति, भाषा, पंथ, प्रांत आदि से उपर उठकर राष्ट्रहित के लिए समाज को संगठित करने का काम किया. धर्म और राष्ट्र की रक्षा के लिए अपने पूरे परिवार को  बलिदान कर दिया.

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उन्होंने कहा कि समरसता का संदेश विचारों के साथ- साथ आचरण से देना होगा. छुआछूत और भेद- भाव को समाप्त करने के लिए हिन्दू समाज को हृदय से जागृत होना होगा. रामानुजाचार्य की जयंती की इस वर्ष सहस्राब्दी है. उन्होंने जाति, पंथ के भेदभावों को मिटाते हुए, समाज के सभी वर्गों के लिये ज्ञान और भक्ति के द्वार खोले. जाति, श्रेष्ठता और हीनता के आधार पर किसी को अपमानित और प्रताड़ित करना अपने समाज के लिए लज्जाजनक कलंक है. सामाजिक समरसता लाना संपूर्ण समाज का काम है. उन्होंने कहा कि आने वाले समय में समूचे राजस्थान में मंदिर, पानी और दाहसंस्कार स्थल के आधार पर होने वाले भेदभाव के अध्ययन के लिए सर्वेक्षण कर समरसता लाने के प्रयास करेंगे. देशभक्ति, प्रमाणिकता और समाज संगठन की गुणवत्ता निर्माण करने का साधन संघ की शाखा है. हम व्यक्ति निर्माण करेंगे, आने वाले दस वर्षों में सारा विश्व भारत माता की जय करेगा.

अजमेरी गेट पर अद्भुद्द संगम

इससे पहले विजय दशमी उत्सव पर महाराज कॉलेज मैदान पर स्वयंसेवकों का एकत्रिकरण हुआ. स्वयंसेवकों ने घोष, दण्डयोग, नियुद्ध और सूर्यनमस्कार का प्रदर्शन किया. शस्त्र पूजन हुआ. इसके बाद दो भागों में पथ संचलन निकाला, पहला पथ संचलन- महाराज कॉलेज के उत्तर पूर्वी द्वार, अजायब घर, मोत डूंगरी रोड़, बापू बजार, चौड़ा रास्ता, छोटी चौपड़, किशनपोल बाजार होता हुआ और दूसरा संचलन महाराजा कॉलेज के दक्षिण पश्चिम द्वार से अशोक मार्ग, एमआई रोड़, संसारचन्द्र रोड़, दरबार स्कूल, पांचबत्ती होते हुए दोनों संचलनों का अजमेरी गेट पर पूर्व निर्धारित समय पर दोपहर 12.13 बजे संगम हुआ. इसके बाद संचलन पुनः महाराज कॉलेज पहुंचकर सम्पन्न हुआ. संचलन का मार्ग में जगह- जगह हिन्दू समाज ने स्वागत किया.

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