नागपुर (विसंकें). नागपुर में सप्तसिंधु जम्मू कश्मीर लद्दाख महा उत्सव का उद्घाटन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने किया. उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर लद्दाख गिलगित बाल्टिस्तान भारत का अविभाज्य अंग है. हम एक हैं, एक थे और एक रहेंगे. हम सभी भारतीय एक हैं. उन्होंने कहा कि लोग नहीं जानते कि जम्मू- कश्मीर में कोई आचार्य अभिनवगुप्त हो गए जो शैव मत के प्रणेता थे. शैव मत को मानने वाले सभी एक हैं, लेकिन इसमें भी लोग बांटने की कोशिश करते हैं. कुछ लोगों के चलते भारत को बांटने की साज़िशें चलती रहती हैं, लेकिन वो कामयाब नहीं हो पाते. अगर हम एक नहीं होते तो जम्मू-कश्मीर में जब पाकिस्तान के कबाइलियों ने हमला किया तो उस वक्त कुशक बकुला ‘नुब्रा आर्मी’ का गठन क्यों करते. इसलिए हम सभी एक ही हैं.
उन्होंने कहा कि कश्मीर भारत का अविभाज्य अंग है, यह वास्तविकता है. कुछ भारत विरोधी तत्व वहाँ लगातार अस्थिरता पैदा कर रहे हैं. उनको जिस भाषा में समझ आए, उस भाषा में उत्तर देना चाहिये. यह मुट्ठीभर लोगों का उग्रवाद समाप्त होना ही चाहिये और उसके लिए शक्ति के साथ युक्ति का भी प्रयोग होना चाहिये. सत्य के पीछे यदि शक्ति खड़ी हो तो सारी दुनिया उसे स्वीकार करती है. कश्मीर का उल्लेख विवादित क्षेत्र, ऐसा ही जागतिक मंच पर होता आया है. लेकिन वास्तव में वह गलत है. वास्तविकता में यह भारत का आतंरिक मामला है. भारत के लोगो में एकात्म, एकत्व की भावना कुछ कम पड़ रही है और इसका फायदा उन असामाजिक तत्वों को मिल रहा है. कश्मीर के बारे में वैचारिक मतभेद कैसे बढ़े, उनमें विसंगतियाँ कैसे पैदा हों, इसका निरन्तर प्रयास कुछ असामाजिक तत्व कर रहे हैं. अब समय आ गया है कि भारत के लोगों को अपना इतिहास और अपने कश्मीर के सत्य के बारे में जानना होगा. शक्ति युक्ति के साथ प्रेम की भक्ति की भावना बढ़ेगी तो निश्चित रूप से भारत के सारे आतंरिक प्रश्नों का निदान संभव होगा.
सरसंघचालक जी ने कहा कि पूरे भारत में दर्शन की पद्धति चलती है और जो घाटी में भी चलती है. श्रीनगर लगा श्री शब्द इसका परिचायक है. शक्ति और भक्ति के साथ ऐसी युक्ति खड़ी हो, जिससे ये संदेश जाए कि सब अपने हैं. उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर अध्ययन केंद्र ने अध्ययन करके आचार्य अभिनवगुप्त, कुशक बकुला और राज्य संस्कृति को आम जनमानस तक पहुंचाने का बड़ा किया किया है.
कार्यक्रम में मिजोरम के राज्यपाल निर्भय शर्मा जी ने कहा कि गिलगित-बाल्टिस्तान की अहमियत को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. जम्मू कश्मीर के ऐतिहासिक तथ्यों पर जोर देते हुए कहा कि सम्राट अशोक ने ही श्रीनगर शहर का नाम दिया था. जम्मू-कश्मीर के बच्चों के मन में भारत के प्रति नफरत के बीज बोये जा रहे हैं, ऐसा नहीं होना चाहिए था. राज्यपाल ने जम्मू कश्मीर में सेना में बिताए अपने 20 बरस याद करते हुए कई रोचक प्रसंग सुनाए. उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है.
इस मौके पर जम्मू कश्मीर अध्ययन केंद्र नागपुर इकाई की अध्यक्ष मीरा खडक्कार ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि ये महोत्सव जम्मू कश्मीर लद्दाख से जुड़ी हुई तमाम जानकारियों से लोगों को रूबरू करवाएगा. जम्मू-कश्मीर को लेकर तमाम तरह की भ्रांतियां लोगों के मन में पैदा की गई हैं, जिन्हें अब दूर करने की आवश्यकता है.
सप्तसिंधु जम्मू-कश्मीर लद्दाख महोत्सव में चार यात्राओं का शुभारंभ किया गया जो देश के अलग-अलग हिस्सों में जाकर कुशक बकुला के विचारों से लोगों को अवगत कराएंगी. 19 मई को लेह में ये यात्राएं सम्पन्न होगी.
इससे पहले सरसंघचालक मोहन भागवत जी ने सप्तसिंधु जम्मू-कश्मीर लद्दाख महा उत्सव की प्रदर्शनी का भी उद्घाटन किया. प्रदर्शनी में जम्मू कश्मीर लद्दाख के महापुरुषों के जीवन, पर्यटन स्थल और धार्मिक–आध्यात्मिक स्थल और संस्कृति को दर्शाते हुए कलाकृतियां दर्शायी गई हैं. आचार्य अभिनवगुप्त, शैव दर्शन, खूबसूरत वादियां और कुशोक बकुला पर कलाकृतियां दर्शायी गईं हैं.
जम्मू कश्मीर अध्ययन केंद्र नागपुर इकाई की अध्यक्ष मीरा खडक्कार ने बताया कि 16 मार्च को कुशक बकुला और बुद्ध तत्वज्ञान पर विशेष चर्चा होगी. इसी दिन Discussion on Legal & Constitutional Status पर जाने-माने कानूनविद् अपना वक्तव्य देंगे.
– 17 मार्च को सांस्कृतिक कार्यक्रम “Kashmir the real story” Directed by Dr.Vinod Indurkar को केन्द्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी जी लाँच करेंगे.
– 18 मार्च को महा उत्सव के समापन मौके पर आयोजित विशेष कार्यक्रम में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फणनवीस और जम्मू-कश्मीर की पर्यटन मंत्री प्रिया सेठी, महाराष्ट्र के ऊर्जा मंत्री चन्द्रशेखर बावनकुले विशेषतौर पर मौजूद रहेंगे.
– नागपुर में अलग-अलग हिस्सों में स्वयंसेवी संस्थाओं एवं महाविद्यालयों के सहयोग से करीब 20 समानांतर अकादमिक और सांस्कृति कार्यक्रम होंगे.
– जम्मू कश्मीर के व्यंजनों के स्टॉल, हेंडिक्राफ्ट, ड्राइ फ्रूट्स, ऊनी कपड़, कालिन, कहावा (कश्मिरी चाय) आदि वस्तुओं के स्टॉल भी लगाए गए हैं.