लखनऊ (हि.स.). उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने रविवार, 9 नवंबर को यहां कहा कि समाज का उद्धार करना है तो सहकारिता ही एक मात्र आधार है. उन्होंने कहा कि सहकारिता का मुख्य उद्देश्य धीरे-धीरे ओझल होता जा रहा है. सहकारिता के क्षेत्र में ताकत बनकर जो स्वयं लाभ लेना चाहते हैं ऐसे लोगों से सहकारिता को बचाने की जरूरत है. शिक्षा के क्षेत्र में भी इसी तरह हो रहा है. शिक्षा क्षेत्र के नाम पर शिक्षा का व्यापार शुरू हो गया है. वह राजधानी के निरालानगर स्थित माधव सभागार में आयोजित सहकारिता सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे.
समाज को सुविधा देने के लिये ही हम सहकारिता के क्षेत्र में काम करते हैं. सेवा के माध्यम से लोगों के नजदीक जायें और उनकी सहायता करें. इसलिये हम लोग जिस क्षेत्र में भी काम करें, एक बात हमेशा याद रखें कि हम देश के लिये काम कर रहे हैं.
उन्होंने बताया कि 20 वर्ष पहले हमें कैंसर हुआ था. अब हम पूरी तरह ठीक हैं. इसलिये जब कैंसर पर विजय पायी जा सकती है तो भ्रष्टाचार पर भी नियंत्रण पाया जा सकता है. जब संकल्प करेंगे तो सब कुछ संभव है. मैं खाऊँगा नहीं और न हीं खाने दूँगा के भाव से सहकारिता का काम करने की जरूरत है.
राज्यपाल ने कहा कि महामहिम शब्द परदेशी दासता का सूचक है. इसलिये हमें महामहिम न कहकर माननीय कहा जाय. उन्होंने कहा कि राज्यपाल बनने के पहले दिन ही हमने कहा था कि हमें महामहिम न कहा जाय.
सहकार भारती के राष्ट्रीय संगठन मंत्री विजय देवांगन ने कहा कि सहकारी समितियों में यदि अनिवार्य कर दिया जाय कि सारे वस्त्र खादी भण्डार से ही खरीदे जायेंगे तो लाखों लोगों को रोजगार मिल सकता है. उन्होंने कहा कि जब तक भारत के सामान्य व्यक्ति को स्वावलम्बी नहीं बनाया गया, तब तक भारत का सर्वांगीण विकास नहीं हो सकता.
इस अवसर पर सहकार भारती के राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री विष्णु मोगड़े, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्र कार्यवाह राम कुमार, उत्तर प्रदेश के पूर्व सहकारिता मंत्री राम कुमार पटेल, सहकार भारती के प्रदेश महामंत्री मार्कण्डेय सिंह, सहकार भारती अवध प्रान्त के संगठन मंत्री विवेकानन्द, सहकार भारती के प्रदेश उपाध्यक्ष जीत सेन सिरोही और राजदत्त पाण्डेय प्रमुख रूप से उपस्थित थे.