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सहारनपुर दंगा पीड़ितों की सहायता के लिये बढ़े प्रवासी भारतीयों के हाथ

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सहारनपुर. सहारनपुर में हिंसा का दंश झेल रहे पीड़ितों की मदद की कवायद शुरू हो गयी है. श्री गुरुसिंह सभा ने दंगा रिलीफ फंड का गठन किया है. दंगा पीड़ितों का दर्द अब विदेशों तक पहुंच गया है. उनकी मदद के लिये प्रवासी बंधु आगे आ रहे हैं. इसमें खासतौर पर ब्रिटेन और कनाडा में बसे सिख समुदाय के लोग शामिल हैं.

ज्ञातव्य है कि 26 जुलाई को सहारनपुर में हिंसा और आगजनी हुई थी. उपद्रवियों ने करीब 200 दुकानों को आग के हवाले कर दिया था. हिंसा में तीन लोगों की मौत हो गई थी. सैकड़ों लोगों का कारोबार बर्बाद हो गया. दंगा पीड़ितों की मदद के लिये बनाए गए रिलीफ फंड में गुरुसिंह सभा ने 21लाख रुपये की राशि जमा की थी. इसके अलावा शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंध कमिटी ने भी एक करोड़ रुपये देने की घोषणा की है.

दंगा रिलीफ फंड में अधिक धन संग्रह के लिये राज्य की राजधानी लखनऊ में भी एक केंद्र खोला जा रहा है, जिससे पूर्वोत्तर उत्तर प्रदेश के सिख बंधु इस फंड में अपना योगदान कर सकें. साथ ही, उत्तराखंड, हरियाणा, पंजाब और दिल्ली आदि राज्यों समेत देशभर से हिंसा पीड़ितों के लिए फंड इकट्ठा किया जा रहा है.

इंटरनेट से साधा जा रहा संपर्क

दंगा पीड़ितों की सहायता के लिये इंटरनेट के जरिये लोगों से संपर्क किया जा रहा है. सिख समुदाय के लोगों को मदद के लिये आगे आने को कहा जा रहा है. इसके साथ ही कई संगठनों से संपर्क किया जा रहा है. श्री गुरुसिंह सभा के प्रधान बलबीर सिंह धीर ने बताया कि दंगा रिलीफ फंड के लिये अभी तक संतोषप्रद सफलता प्राप्त हुई है.

मेरठ के आयुक्त ने शुरू की जांच

दंगों की जांच मेरठ के आयुक्त  भूपेंद्र सिंह ने शुरू कर दी. गत 11 अगस्त को सर्किट हाउस पहुंचकर उन्होंने दंगा पीड़ितों से मुलाकात करके पूरे घटनाक्रम की जानकारी ली. मंडलायुक्त ने अधिकारियों के साथ बैठक  की. और  सिख समाज के लोगों को निष्पक्ष कार्रवाई का आश्वासन दिया. मंडलायुक्त ने दंगों में अधिकारियों की भूमिका की जांच के लिये उनसे भी पूछताछ की. गुरुद्वारा प्रकरण के स्थानीय  अधिकारियों की जानकारी में नहीं होने पर मंडलायुक्त ने हैरानी जताई. उन्होंने अधिकारियों से पूछा कि यदि यह मामला उनके संज्ञान में था, तो वर्षों से लंबित क्यों पड़ा था? बवाल यदि 26 जुलाई को तड़के शुरू हुआ, तो अधिकारियों ने उपद्रवियों पर समय से काबू क्यों नहीं पाया? एलआईयू और अन्य खुफिया एजेंसियों को इस प्रकरण की जानकारी क्यों नहीं थी?

 

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