भोपाल. सुदर्शन जी की पीड़ा थी कि भारत की स्वतंत्रता में “स्व” कहाँ है . तंत्र का अर्थ है व्यवस्था, रचना, प्रणाली. आजादी के पूर्व विदेशी हाथ व्यवस्था संचालित करते थे, 1947 के बाद हाथ बदल गये, किन्तु व्यवस्था वही रही. जिन जीवन मूल्यों के आधार पर भारत की आत्मा का प्रकटीकरण हो, स्वदेशी, स्वावलंबन केन्द्रित व्यवस्था स्वतंत्र भारत में बने, यह पूज्य सुदर्शन जी का स्वप्न था. हम सब चुनौती मानकर उनके स्वप्न को साकार करने में जुटें, यही सुदर्शन जी को सच्ची श्रद्धांजलि होगी. सुदर्शन जी के स्मरण से वही दृष्टि, प्रेरणा, ऊर्जा प्राप्त होती रहे.
विश्व संवाद केंद्र भोपाल द्वारा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व सर संघचालक स्व. सुदर्शन जी के जन्मदिवस के अवसर पर 18 जून को सायं 6:00 बजे समन्वय भवन (अपैक्स बैंक) में आयोजित “भावाञ्जलि” कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के उत्तर क्षेत्र संघचालक श्री बजरंगलाल जी ने उपर्युक्त विचार व्यक्त किये .
इस दौरान विश्व संवाद केंद्र द्वारा निर्मित और श्री संगीत वर्मा द्वारा निर्देशित वृत्तचित्र “मृत्युञ्जय” का लोकार्पण किया गया. साथ ही, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व सरसंघचालकों के गरिमामयी इतिहास पर आधारित स्मारिका “प्रेरणा प्रवाह” का विमोचन भी किया गया, जिसका सम्पादन प्रो. उमेश सिंह जी द्वारा किया गया .
कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्व संवाद केंद्र के सचिव श्री अजय नारंग ने की तथा संचालन श्री धीरेन्द्र चतुर्वेदी ने किया. कार्यक्रम में संघ के पदाधिकारियों के अतिरिक्त गृह मंत्री श्री बाबूलाल गौर सहित भाजपा कार्यकर्ता भी बड़ी संख्या में उपस्थित थे.
कार्यक्रम के अंत में वृत्त चित्र का सार्वजनिक प्रदर्शन किया गया. वृत्त चित्र में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखा में व्यक्ति निर्माण के माध्यम से राष्ट्र के प्रति समर्पण भाव का विकास, संघ की प्रचारक परंपरा, राष्ट्र और राष्ट्रीयता, बंगलादेशी घुसपैठ आदि विषय पर सुदर्शन जी के विचारों को अभिव्यक्त किया गया है.