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सेवाभाव भारतवासियों के रक्त में : भय्या जी जोशी

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Bhayya ji- Divya Prem Missionऋषिकेश. दिव्य प्रेम सेवा मिशन के वार्षिक सम्मेलन में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरकार्यवाह भय्या जी जोशी ने कहा कि सेवा का भाव भारत के रक्त, परंपरा और मान्यताओं में है. उपनिषदों में ‘सर्वे भवंतु सुखिना, सर्वे संतु निरामया’ का संदेश भारत ही नहीं पूरे विश्व की खुशहाली और समृद्धि के लिए दिया गया है. दिव्य प्रेम सेवा मिशन ट्रस्ट इसी संदेश को आगे बढ़ाने का काम कर रहा है.

रविवार को वंदेमातरम कुंज, गंगाभोगपुर तल्ला में आयोजित सम्मेलन की शुरुआत सरकार्यवाह भय्या जी जोशी ने की. सरकार सुविधाएं तो मुहैया करा सकती हैं, लेकिन समाज का विकास निजी संकल्प से ही संभव है. जोशी ने युवा शक्ति को देश की शक्ति बताया. युवाओं को बेहतर मार्गदर्शन दिया जाए तो उन्नति का मार्ग प्रशस्त किया जा सकता है.

योगगुरु बाबा रामदेव ने कहा कि सामाजिक विकास के लिए हर व्यक्ति को अपनी जिम्मेदारियों और क्षमताओं को समझना होगा. दिव्य प्रेम सेवा मिशन ट्रस्ट द्वारा किए जा रहे जनसरोकार के कार्यों से प्रेरणा ली जा सकती है.सम्मेलन में योग गुरु बाबा रामदेव केंद्र सरकार के कार्यों से काफी संतुष्ट नजर आए. संबोधन के दौरान बाबा ने कहा कि 10175063_10203175114166604_7083602599402956287_nपूरी दुनिया में योग के अच्छे दिन आ चुके हैं. जल्द ही आयुर्वेद, शिक्षा और किसानों के भी अच्छे दिन आने वाले हैं. उनका कहना है कि देश में ऋषि- मुनियों और संस्कृति का सम्मान होने लगा है. बताया कि भारतीय योग विधाओं और संस्कृति का विकास पूरे विश्व में तेजी से हो रहा है. विभिन्न देशों के लोग हमारी संस्कृति, उपनिषदों और परिवेश को जानना चाहते हैं.

केंद्रीय मंत्री संतोष कुमार गंगवार ने कहा कि अच्छे दिनों के लिए जनता का सहयोग जरूरी है. पतंजलि योग पीठ के महामंत्री आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि ट्रस्ट सामाजिक कार्यों के साथ ही दिव्य योग ट्रस्ट के साथ जड़ी बूटियों के संरक्षण के लिए भी कार्य कर रहा है. उन्होंने सराहनीय पहल बताया.ट्रस्ट के विद्यार्थियों ने विभिन्न देशभक्ति और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ ही विभिन्न यौगिक क्रियाओं का प्रदर्शन किया.

एमडीएच मसाले के प्रबंध निदेशक महाशय धर्मपाल ने कहा कि धन-दौलत में दो घड़ी का सुख है, जबकि सेवा से जिंदगीभर की शांति प्राप्त होती है. कहा कि अपनी कमाई की दो रोटी करोड़ों की जायदाद के बराबर है. ईमानदारी, मेहनत, माता-पिता के आशीर्वाद, मीठे बोल, परमात्मा के प्रति आस्था, संसार के प्रति प्यार को जीवन जीने के छह अनमोल रहस्य बताया.

10390507_10203175116006650_2844491777494441990_n‘कुंभ आस्था का प्रतीक’ का विमोचन

सम्मेलन के दौरान ट्रस्ट के संयोजक संजय चतुर्वेदी की पुस्तक ‘कुंभ आस्था का प्रतीक’ का विमोचन भी किया गया. चतुर्वेदी ने बताया कि कुंभ आस्था के साथ ही विचारों का प्रतीक भी है, जिसको समझना समाज के प्रत्येक व्यक्ति के लिए जरूरी है.

 

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