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सौर ऊर्जा से रोशन मध्यप्रदेश का आदर्श गाँव – बांचा

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भोपाल. आदर्श गांव बांचा – मध्यप्रदेश के बैतूल जिले का एक छोटा-सा अनुसूचित जनजाति (शेड्यूल ट्राइब) बाहुल्य गाँव है. आजकल यह छोटा-सा गाँव अपने बड़े नवाचारों के कारण चर्चा में बना हुआ है. वर्ष 2016-17 से बांचा ने बदलाव की करवट लेनी शुरू की. आज बांचा न केवल मध्यप्रदेश, बल्कि भारत के सभी गाँवों के लिए प्रेरणा स्रोत बन सकता है. गाँववासियों की लगन, समर्पण, सूझबूझ और वैज्ञानिक समझ ने बांचा गाँव की तस्वीर में रंग भर दिए हैं. एक समय में पानी की समस्या का सामना करने वाले इस गाँव में अब पानी के पर्याप्त प्रबंध है.

समाजसेवी मोहन नागर की प्रेरणा से ग्रामवासियों ने परंपरागत ग्राम-विज्ञान के सहारे बारिश के पानी को एकत्र करना प्रारंभ किया. इसके लिए पहाड़ी या ढलान से आने वाले पानी को रेत की बोरियों की दीवार बनाकर एकत्र किया गया, इससे न केवल खेती और पशुओं के लिए पानी जमा हुआ, बल्कि गाँव का भू-जलस्तर (ग्राउंड वाटर लेवल) भी बढ़ गया. गाँव वालों ने इस प्रयोग को नाम दिया – बोरी बंधान. बोरी बंधान के इस प्रयोग से संग्रहित बारिश के पानी का उपयोग फसलों की सिंचाई में किया जाता है. पशुओं के पेयजल के लिए भी यह पानी उपयोग होता है. एक छोटे से ग्रामीण विज्ञान के प्रयोग से आज बांचा गाँव में वह खेत लहलहाते हैं, जो कभी सिंचाई के अभाव में सूखे रह जाते थे. बोरी बंधान से गाँव की लगभग 15 एकड़ जमीन सिंचित की जा रही है. वैज्ञानिक नवाचार में पहली ही सफलता ने ग्रामवासियों का आत्मविश्वास बढ़ा दिया. नवाचारों के अगले क्रम में उन्होंने सौर ऊर्जा (सोलर एनर्जी) की ओर कदम बढ़ाए. जीवाश्म ईंधन से जहाँ पर्यावरण को क्षति पहुँच रही थी, वहीं महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए भी यह ठीक नहीं था. गाँव वालों को सौर ऊर्जा के बारे में जागरूक किया गया. आईआईटी मुंबई के विद्यार्थियों और ओएनजीसी के अधिकारियों के सहयोग गाँव में इलेक्ट्रिक सोलर इंडक्शन लगाए गए हैं. अब गाँव के प्रत्येक घर में सौर ऊर्जा का उपयोग कर खाना बनाया जाता है. इसके लिए आईआईटी मुंबई के विद्यार्थियों और ओएनजीसी के अधिकारियों ने गाँव के कुछ लोगों को प्रशिक्षित किया और उन्हें सौर ऊर्जा से बिजली कैसे बनाई जाती है, इसकी वैज्ञानिक प्रक्रिया की जानकारी दी. आधुनिक और परंपरागत विज्ञान के छोटे उपायों को अपनाकर बांचा एक आदर्श गाँव के रूप में हमारे सामने है. यह छोटा गाँव आज सबके बीच न केवल चर्चा का बल्कि प्रेरणा का स्रोत भी बन गया है.

 

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