मुंबई. हिन्दी विवेक मासिक पत्रिका द्वारा प्रकाशित ‘नया भारत विशेषांक’ का विमोचन 24 सितंबर को संपन्न हुआ. कार्यक्रम का आयोजन हिन्दी विवेक तथा एच.जे. दोशी घाटकोपर हिन्दू सभा हॉस्पिटल ने वरली स्थित सास्मिरा कॉलेज के सभागृह में संयुक्त रूप से किया था. प्रमुख अतिथियों ने दीप प्रज्ज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया. 10 वर्षीय कुमारी मुद्रा देवगीरिकर ने श्री गणेश पञ्चस्तोत्र का गायन कर सभा को भक्ति के रंग में रंगा.
हिन्दी विवेक के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमोल पेडणेकर ने बदलते भारत की तस्वीर को प्रस्तुत किया और ‘नया भारत विशेषांक’ की प्रासंगिकता, उपलब्धियों एवं बीते 6 वर्ष से भारत में हो रहे परिवर्तन का उल्लेख किया. उन्होंने हिन्दी विवेक के दशकपूर्ति वर्ष के उपलक्ष्य में राष्ट्रीयता से ओत प्रोत सकारात्मक पत्रकारिता का भी जिक्र किया. महात्मा गांधी के 150वीं जयंती के निमित्त हिन्दी विवेक द्वारा प्रकाशित ‘महात्मा गांधी – एक सोच’ ग्रन्थ के बारे में संक्षेप में जानकारी दी.
आध्यात्मिक प्रवचनकार वीरेन्द्र याज्ञिक ने भारतीय संस्कृति, सभ्यता, भारतीय मूल्यों व विचारों के संदर्भ में अपनी बात रखी. उन्होंने आगाह किया कि भारतीय परम्पराओं एवं संवेदनशीलता का त्याग कर हम नए भारत का निर्माण नहीं कर सकते. यदि हम विकास की अंधी दौड़ में अपनी संस्कृति, सभ्यता व संस्कारों को बचा पाए तो निश्चित रूप से भारत विश्वगुरु बनेगा और असल मायने में नए भारत का निर्माण होगा.
विवेक समूह के प्रबंध संपादक एवं महाराष्ट्र राज्य मराठी विश्वकोष निर्मिति मंडल के अध्यक्ष दिलीप करंबेलकर ने नेहरू की गुटनिरपेक्ष नीति और मोदी की विश्वनीति का उल्लेख करते हुए कहा कि नेहरू के समय हमारे साथ कोई भी देश कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा नहीं होता था. लेकिन आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विश्व नीति से पूरी दुनिया भारत के साथ मजबूती से खड़ी है. क्या किसी ने सोचा था कि अमेरिका में राष्ट्रपति ट्रंप मोदी का भाषण एक घंटे तक श्रोताओं की भांति सुनेंगे? यह सब हो रहा है. यह नए भारत के निर्माण का शंखनाद है. भारतवंशी अब एक वैश्विक ताकत बन चुके है. प्रवासी भारतीयों ने ही अमेरिका की सोच, पूर्वाग्रह व नीति को बदलने में अहम भूमिका निभाई है.
एच.जे.दोशी घाटकोपर हिन्दू सभा हॉस्पिटल के अध्यक्ष मगनलाल हरिलाल दोशी ने महात्मा गांधी के सपनों का भारत विषय पर प्रकाश डाला. उन्होंने गांधी जी की लिखी पुस्तक ‘हिन्द स्वराज’ पढ़ने की सलाह दी. वर्तमान में गांधी के सपनों का भारत निर्माण हो रहा है.
प्रमुख अतिथि रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल तथा फिन्स के अध्यक्ष डॉ. दत्तात्रेय शेकटकर ने भारत की सैन्य शक्ति (सामरिक शक्ति) पर प्रकाश डाला और सिंह गर्जना की कि भारतीय सेना पाकिस्तान के केवल चार टुकड़े नहीं हजार टुकड़े करने में सक्षम है. उन्होंने यह हिदायत भी दी कि पाकिस्तान के टुकड़े करना तो आसान है, लेकिन उसमें से एक टुकड़ा भी हमारे अन्दर आ गया तो हमारे लिए गंभीर खतरा भी बन सकता है.
कार्यक्रम के अध्यक्ष राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय संपर्क प्रमुख अनिरुद्ध देशपांडे जी ने कहा कि भारत तो चिर पुरातन है, लेकिन इसकी विशेषता है कि यह नित्य नूतन होता रहता है. समय के साथ परिवर्तन होता रहता है. देश में हो रहे बदलाव का केंद्र बिन्दु समाज है, जनता है. जनभागीदारी से ही देश में तेजी के साथ परिवर्तन हो रहा है. जातिवाद को खत्म करने के लिए सामाजिक समरसता का भान रखना आवश्यक है. कुटुंब प्रबोधन का कार्य संघ कर रहा है क्योंकि आधुनिक युग में विदेशी संस्कृति के प्रभाव में हमारे परिवार भी नष्ट हो रहे हैं. भारत की विरासत के आधार पर ही यह देश खड़ा है. इसलिए हमें अपनी विरासत को संजोये रखना होगा. संघ के बारे में उन्होंने कहा कि संघ ही समाज है और समाज ही संघ है. समाज से सम्बंधित कार्य ही संघ कार्य है. इसके अलावा मोबाईल के दुष्परिणाम, प्रकृति, पर्यावरण, स्वास्थ्य, शिक्षा आदि विषयों पर भी उन्होंने सारगर्भित व्याख्यान दिया.
इसके पूर्व सामाजिक क्षेत्र में उल्लेखनीय भूमिका निभाने वाले मगनलाल दोशी, संदीप आसोलकर व गिरीश भाई को पुष्पगुच्छ एवं स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया.
आर्थिक रूप से सहयोग व हिन्दी विवेक का विस्तार करने वाले हिन्दी विवेक के प्रतिनिधि विलास मेस्त्री, नितिन बिबिकर एवं दत्तात्रय ताम्हणकर का विशेष सम्मान अनिरुद्ध देशपांडे एवं प्रमुख अतिथि ने किया. सूत्र संचालन हिन्दी विवेक की कार्यकारी संपादक पल्लवी अनवेकर ने किया और आभार प्रदर्शन प्रशांत मानकुमरे ने किया. वन्दे मातरम गीत के साथ कार्यक्रम संपन्न हुआ.