नई दिल्ली. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के परम पूज्य सरसंघचालक डॉ. मोहन राव भागवत ने कहा है कि भारत के लोगों ने हिंदुत्व को अपनी जागीर नहीं माना है, बल्कि उन्होंने इसे विश्व के लिये विरासत के तौर पर माना है.. उन्होंने कहा कि देश में लोगों को इसकी जड़ों को जानने की जरूरत है.
विज्ञान भवन में ‘इंसाइक्लोपीडिया ऑफ हिंदुइज्म’ के अंतरराष्ट्रीय संस्करण के विमोचन के लिये आयोजित एक कार्यक्रम में मोहनजी ने कहा कि यह आवश्यक है कि बच्चों को उनकी जड़ों के बारे में जानकारी दी जाये जो वर्तमान में उनकी शिक्षा और शिक्षा प्रणाली से गायब है. उन्होंने कहा, ‘हिंदू शब्द पहले नहीं था.. परंपरायें और धर्म थे पर शब्द नहीं था. उस समय इसे मानवता के रूप में जाना जाता था.’
इस वसर पर उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी, केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी, केंद्रीय मंत्री कलराज मिश्र, परमार्थ निकेतन आश्रम के प्रमुख स्वामी चिदानंद सरस्वती, पाकिस्तान के उच्चायुक्त अब्दुल बासित और अभिनेता विवेक ओबेरॉय सहित कई जानी-मानी हस्तियां मौजूद थीं.
विज्ञान भवन में आयोजित लोकार्पण समारोह में उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने ‘एनसाइक्लोपीडिया ऑफ हिंदूइज्म’ के प्रकाशन के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि इस एक सदी में कम से कम तीन बार एनसाइक्लोपीडिया को संशोधित किया जाना चाहिये. स्वामी चिदानंद सरस्वती ने कहा कि आज जरूरत है कि हम अपनी जड़ों को छोड़ें नहीं और दूसरों को तोड़ें नहीं.