नागपुर. हिन्दू समाज के अस्तित्व को अक्षुण्ण बनाये रखने रखने में देश के संतों का महती योगदान है. अपने देश में हजारों वर्षों तक अनेक आक्रान्ताओं ने आक्रमण किया, धर्म-संस्कृति पर अघात किये, पर प्रत्येक संकट की घड़ी में संतों ने समाज का सतत मार्गदर्शन किया. यही कारण है कि हमारे धर्म और संस्कृति की रक्षा हो पाई. उन संतों के जीवन और सन्देश से वर्तमान पीढ़ी को अवगत करना आवश्यक है, ऐसा कहकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह भय्याजी जोशी ने तरुण भारत के ‘ओळख विदर्भातील संतांची’ उपक्रम की सराहना की. वे रविवार, 24 अगस्त को तरुण भारत द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम को सम्बोधित कर रहे थे.
ज्ञात हो कि नागपुर से प्रकाशित होनेवाले मराठी दैनिक ‘तरुण भारत’ ने ‘ओळख विदर्भातील संतांची’ शीर्षक से विदर्भ के संतों के संक्षिप्त जीवन और सन्देश पर आधारित लेखमाला चलाई थी. इस लेखमाला पर आधारित प्रश्न मंजूषा के पुरस्कार वितरण समारोह में सरकार्यवाह मुख्य अतिथि के पूप में सम्बोधित कर रहे थे. उन्होंने बताया कि एक समाचार पत्र के रूप में तरुण भारत सदैव संतों और महापुरुषों के संदेशों को नियमित रूप से प्रकाशित कर समाज का प्रबोधन करता आया है. उन्होंने कहा कि श्रेष्ठ विचार बहुत मूल्यवान होते हैं, उनमें अपरम्पार शक्ति होती है. बुरे विचार सहजता से समाज में फ़ैल जाते हैं, पर श्रेष्ठ विचारों को समाजाभिमुख बनाने के लिये कठोर परिश्रम करना होता है. संतों ने अनथक प्रयत्न कर अपने समाज को श्रेष्ठ विचारों से प्लावित किया है.
अंजनगांवसुर्जी स्थित देवनाथ पीठ के प्रमुख जितेन्द्रनाथ महाराज ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की. साथ ही तरुण भारत के अध्यक्ष डॉ.विलास डांगरे, प्रबंध संचालक विश्वास पाठक और कार्यकारी सम्पादक गजानन निमदेव भी मंच पर आसीन थे.
कार्यक्रम के अध्यक्ष जितेन्द्रनाथ महाराज ने अपने भाषण में कहा कि ‘संत हे चालते-बोलते विद्यापीठ होते.’ उन्होंने बताया कि जो समाज के कल्याण के लिये सदैव तत्पर रहते हैं, वे ही सच्चे संत हैं. इस कार्यक्रम में नगर के गणमान्य नागरिक बड़ी संख्या में उपस्थित थे.