ग्राफिक एरा हिल विश्वविद्यालय में ‘राष्ट्र निर्माण एवं पत्रकारिता के सरोकार’ पर व्याख्यान
देहरादून (विसंकें). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ. मनमोहन वैद्य जी ने कहा कि अंग्रेज तो 1947 में चले गए, लेकिन अंग्रेजियत छोड़ गए. इस भाषा का खौफ इस कदर हावी है कि हम अपनी पहचान ही खो रहे हैं. हमें अपनी भाषा पर स्वाभिमान होना चाहिए, लेकिन हम इसे सीखने में शर्म महसूस करते हैं. अगर कोई अंग्रेजी नहीं जानता तो उसे गंवार व अनपढ़ समझा जाता है. क्योंकि, आज भारत में सब कुछ पढ़ाया जा रहा है, सिवाय भारत के. वे ग्राफिक एरा हिल विश्वविद्यालय में ‘राष्ट्र निर्माण एवं पत्रकारिता के सरोकार’ विषय पर छात्रों को संबोधित कर रहे थे.
उन्होंने कहा कि 91 फीसद देशों में अपनी भाषा में ही पढ़ाई होती है और काम भी. और वह देश किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं हैं. अंग्रेजी या कोई भी दूसरी भाषा का ज्ञान अर्जित करना गलत नहीं है, लेकिन हमें अपनी भाषा अच्छी तरह आनी चाहिए. अध्यात्म भारत के चिंतन का आधार है, जो भारत को दुनिया में विशेष बनाता है. देश की अनेक विविधताओं को जोड़ने वाला तत्व भी अध्यात्म है. मतलब, हम सभी में एक ही तत्व विद्यमान है, हम सभी एक ही ईश्वर के अंश हैं. इसी कारण हम अनेकता में एकता को आसानी से स्वीकार कर लेते हैं. उन्होंने कहा कि सदियों से संपूर्ण राष्ट्र एक है और यह हमारे दृष्टिकोण पर आधारित है.
सह सरकार्यवाह जी ने कहा कि देश में मनुस्मृति का कोई पालन नहीं होता है. आरएसएस में तो इसकी चर्चा कतई नहीं होती. संविधान लेटेस्ट स्मृति है और हम सभी को इसका पालन करना चाहिए.
नियमों व समय के पालन से होगा राष्ट्र निर्माण
डॉ. मनमोहन वैद्य जी ने कहा कि राष्ट्र निर्माण के लिए नियमों व समय का पालन करना जरूरी है. नियमों का पालन कराने के लिए सड़कों पर पुलिस का खड़ा होना मनुष्य होने का अपमान है. साथ ही हमें हर कार्य को बेहतरीन ढंग से क्रियान्वित करना चाहिए, जिससे उसका लाभ समाज को मिल सके. इस दौरान विवि के निदेशक इंफ्रास्ट्रक्चर सुभाष गुप्ता जी, विभागाध्यक्ष मैनेजमेंट डॉ. विशाल सागर जी, प्रांत प्रचारक युद्धवीर जी सहित अन्य उपस्थित रहे.