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अन्य राज्यों से लौटे प्रवासी श्रमिकों को रोजगार से जोड़ने में जुटी विकास भारती

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आत्मनिर्भर भारत

बाहर से आ रहे श्रमिकों को ग्राम्य आधारित कार्यों से जोड़ने  लिए सर्वे करवा रही संस्था

सचिव पद्मश्री अशोक भगत ने कहा, झारखंड के गांवों में हैं काफी संभावनाएं

रांची (विसंकें). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अनुषांगिक संस्था विकास भारती के कार्यकर्ता कोविड-19 महामारी की विपदा के समय जरूरतमंदों की मदद करने में दिन-रात लगे हुए हैं. अब दूसरे राज्यों से गांवों में आए प्रवासी श्रमिकों की जिंदगी को नई दिशा देने की कवायद में भी जुट गए हैं. स्मार्ट विलेज की बात करने के साथ-साथ परंपरागत एवं स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देने वाली गुमला के बिशुनपुर स्थित विकास भारती संस्था ने प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को साकार करने की ओर कदम बढ़ा दिया है. संस्था के कार्यकर्ता गांवों में श्रमिकों से फॉर्म भरवाकर जानकारी एकत्र कर रहे हैं. उनकी कुशलता किस क्षेत्र में है, वे गांव में रहना चाहते हैं या बाहर जाना चाहते हैं.

संस्था के सचिव पद्मश्री अशोक भगत ने कहा कि झारखंड के गांवों में काफी संभावनाएं हैं. यहां पर लेमनग्रास, हर्बल मेडिसिन, जैविक खेती, मशरूम की खेती, लाह उत्पादन, बांस आधारित उत्पाद, मधुमक्खी पालन, केंचुआ खाद, नई तकनीक से उन्नत कृषि आदि के माध्यम से हजारों लोगों को रोजगार मिल सकता है. इस तरह के उत्पादन के माध्यम से संस्था हजारों पुरुष व महिलाओं को रोजगार दे भी रही है. जरूरत है, उसे कुटीर उद्योग का रूप देने की. इस दिशा में काम करने पर आशा है कि आत्मनिर्भर भारत का सपना साकार हो कर रहेगा.

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह भय्याजी जोशी ने संस्था के कार्यों को देखने के बाद कहा था कि यहां के कामों को देश के अन्य भागों में भी शुरू किया जाना चाहिए. वहीं, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद भी संस्था के कामों को देखने के लिए विकास भारती पहुंचे थे. जब प्रधानमंत्री ने ‘लोकल के लिए वोकल होने की बात कही, तो विकास भारती को भी अपने कार्यों को और मजबूती से चलाने के लिए बल मिला है.

लोगों को बाहर जाने से रोकने में सक्षम होगी संस्था

विकास भारती के माध्यम से संचालित कृषि विज्ञान केंद्र के निदेशक डॉ. संजय पांडेय ने कहा कि हम लोग प्रयास कर रहे हैं कि यहां के लोगों को रोजगार के लिए अब बाहर नहीं जाना पड़े. संस्था की ओर से अब तक जो भी काम किए जा रहे हैं, उसे बड़े पैमाने पर शुरू किया जाएगा. यहां पर तुलसी व लेमनग्रास का तेल निकालने के साथ-साथ गिलोय व वनौषधि पौधे का उत्पादन किया जा रहा है. इसकी मांग अभी देश-विदेश में काफी है. लाह का उत्पादन कर कच्चा माल बेच रहे हैं. यदि कुटीर उद्योग यहीं पर स्थापित कर दिया जाए, तो हजारों लोगों को रोजगार मिल जाएगा. जैविक खेती के माध्यम से अच्छी कमाई कर सकते हैं. आलू एवं मक्का का अच्छा उत्पादन होता है. चिप्स एवं जानवरों के लिए दाना तैयार करने की मशीन स्थापित कर सकते हैं. इन सब पर विकास भारती ने विचार करना शुरू कर दिया है.

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