करंट टॉपिक्स

आनन्द और राज्यवर्धन ने बताया सफलता का राजमार्ग

Spread the love

आगरा. बिहार के प्रसिद्ध कोचिंग संस्थान ‘सुपर 50‘ के संस्थापक आनन्द कुमार ने कहा है कि अपने देश में कभी नये विषयों पर किये जाने वाले शोधों पर चर्चा नहीं होती. इसके विपरीत किसको कितना वेतन मिलता है, इस पर जोरों से चर्चा होती है. इस मानसिकता से नये शोधकर्ताओं को प्रोत्साहन नहीं मिलता. यदि युवा इन चार बातों पर ध्यान दें, तो वे भी बड़े से बड़े लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं – प्रबल और सतत् प्रयास, सकारात्मक सोच, निरंतर अभ्यास एवं असीम धैर्य. उन्होंने कहा कि आज भी अच्छी शिक्षा पाने के लिये बड़े-बड़े सुविधाजनक शिक्षण संस्थानों की नहीं, जुझारू विद्यार्थियों और अच्छे शिक्षकों की जरूरत है जो स्वयं अभावों में रह कर अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकें.

आस्था सिटी में आयोजित युवा संकल्प शिविर में विद्यार्थियों को सम्बोधित करते हुए उन्होंने युवाओं में उत्साह भरने काप्रयास किया. उन्होंने अपनी संस्था ‘सुपर 50‘ की स्थापना और उसके जरिये निःशुल्क शिक्षण, भोजन देकर निर्धनतम छात्र अनुपम शशिनारायण, राकेश, सन्तोष आदि के उदाहरण देते हुये उनके आई. आई. टी. की परीक्षा में सफल होने और उच्चपदस्थ होने की चर्चा की. जिन्होंने अपनी लगन और अथक प्रयास से अपने लक्ष्य को पाया और ये सभी किसी न किसी रूप में वर्तमान में देश सेवा में जुटे हैं.

विद्यार्थियों को आगाह करते हुए श्री कुमार ने कहा कि आप जातिवाद के चक्कर में न पडें, बुरे वक्त में पनी जाति वाला काम नहीं आता. जब आपमें लक्ष्य को पाने की लगन होगी तो साधन कहीं न कहीं से प्राप्त हो ही जायेंगे. बिना धन की लालसा के अच्छे काम करने पर बुरे लोग तमाम बाधायें उत्पन्न करते हैं. स्वंय पर कोचिंग माफियाओं से धमकी और हमले भी हुये लेकिन वह अपने लक्ष्य से डिगे नहीं.

आनन्द कुमार ने कहा हमारे पुराने विश्वविद्यालयों में विभिन्न देशों से लोग आते थे, जहां उन्हें आध्यात्मिक शिक्षा दी जाती थी, जब कि अन्य में भौतिक, यही हमारे नालंदा, तक्षशिला विश्वविद्यालयों की विशेषता थी. जहां से पढकर छात्र विद्वान बन कर निकले.

ओलम्पिक की निशानेबाजी प्रतियोगिता में पदक विजेता सांसद कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौर ने कहा कि लगन व दृढ़ इच्छा शक्ति से कठिन से कठिन लक्ष्य को पाया जा सकता है. आप अपनी सोच से जीतते है. ईश्वर ने सभी को कोई ना कोई शक्ति दी, लेकिन आप अपनी लगन से उस शक्ति को प्रयोग में ला सकते हैं. आज दुनिया के लोगों कि ये धारणा बन गई है कि भारतीयों से भी कुछ न कुछ सीखा जा सकता है.

दिव्य प्रेम मिशन हरिद्वार के आशीष चौहान ने कहा कि आज बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के मालिक गोरे जरूर हैं, लेकिन उन्हे चलाने व बढ़ाने का श्रेय भारतीयों को जाता है. इस अवसर पर  मंचासीन थे डा. दुर्ग सिंह चौहान, श्री पूरन डाबर.

 

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *