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केवल बिहार चुनाव तक सीमित था साहित्यकारों का पुरस्कार वापसी आंदोलन – इंद्रेश कुमार जी

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rashtriya suraksha jagran manch (2)जालंधर (विसंकें). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय कार्यकारिणी के सदस्य इंद्रेश कुमार जी ने कहा कि देश के साहित्यकारों व कलाकारों द्वारा पुरस्कार लौटाने का आंदोलन केवल बिहार चुनाव तक सीमित था और चुनाव संपन्न होते ही उनके लिए देश में फिर से सहिष्णुता स्थापित हो गई है. इंद्रेश जी फोरम फॉर अवेयरनेस आफ नैशनल सिक्योरिटी (राष्ट्रीय सुरक्षा जागरण मंच) के पंजाब चैप्टर के पदार्पण एवं रिफार्म आफ फार्मरस, बार्डर सिक्योरिटी एंड ड्रग्स विषय पर आयोजित सेमिनार को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि इस कथित आंदोलन की आड़ में बुद्धिजीवी कहलवाने वाला वर्ग इंटलेक्चुअल पॉलिटीकल टेररिस्ट बन कर अपने राजनीतिक आकाओं की नमक हलाली कर रहा था. हमें पंजाब में उस शैतान को पकडऩा होगा जो विभिन्न पवित्र धर्मग्रंथों के पन्ने फाड़ कर बाकी समाज को शैतान बनाने का प्रयास कर रहा है.

सेमिनार में मुख्य वक्ता के रूप में इंद्रेश कुमार जी ने कहा कि जब इस देश में सीता और द्रोपदी का अपमान हुआ तो दो महायुद्ध हुए और पूरा देश धर्म के पक्ष में एकजुट हो गया. इसी तरह जब निर्भया कांड हुआ तो देश का हर वर्ग इसके विरोध में सडक़ों पर आ गया. परंतु उस समय साहित्यकारों या कलाकारों की अंर्तात्मा क्यों सोई रही. जब जम्मू-कश्मीर में तिरंगा जलाया जाता रहा, 4 लाख पंडितों को दरबदर किया गया और 40,000 से अधिक जीवित लोगों को लाशों में तब्दील कर दिया, उस समय कितने बुद्धिजीवियों ने अपने पुरस्कार लौटाए. उन्होंने कहा rashtriya suraksha jagran manch (3)कि देश का जब इतिहास लिखा जाएगा, तब आने वाली पीढ़ी इन साहित्यकारों से जरूर सवाल करेगी कि जब इनका कर्तव्य देश को मार्ग दिखाना था तो उस समय वे देशवासियों को पथभ्रष्ट क्यों कर रहे थे. देश में हिंसा फैलाने वाले विभिन्न संगठनों से देश की मुख्यधारा में शामिल होने का आह्वान करते हुए इंद्रेश कुमार जी ने कहा कि उन्हें विश्लेषण करना चाहिए कि उन्होंने आज तक हिंसा में कितने लोगों को जीवन, कितनों को रोजगार दिया और देश का कितना विकास किया. हिंसा से मानव जीवन के लिए जरूरी इन विषयों की प्राप्ति नहीं हो सकती. हिंसा किसी भी समस्या का हल नहीं है. इसलिए हिंसा फैलाने वाले लोगों को आज से ही अपनी विचारधारा बदलने का प्रण कर मुख्यधारा में लौटना चाहिए.

पंजाब में तनावपूर्ण वातावरण पर उन्होंने कहा कि हमारे महान गुरुओं ने कष्ट झेल कर मानवता की रक्षा की, न कि किसी दूसरे का खून बहा कर. भगत सिंह ने आत्मबलिदान कर क्रांति की ज्वाला जलाई, न कि हिंसा से. हमें उस शैतान को ढूंढना होगा जो हमारे प्राणप्रिय धर्मग्रंथों की बेअदबी कर रहा है. अपने अध्यक्षीय भाषण में फोरम के राष्ट्रीय अध्यक्ष एयर वाइस मार्शल (से.नि.) रामचंद्र वाजपेयी जी ने कहा कि देश के लिए जितना जरूरी आजादी हासिल करना था, उतना ही जरूरी है आजादी को बरकरार रखना. इसके लिए देश की आंतरिक व बाहरी सुरक्षा को पुख्ता करना होगा. पिछले दस सालों में देश की सेना की आधुनिकीकरण की प्रक्रिया शिथिल सी हो गई थी. परंतु अब सरकार इस ओर ध्यान दे रही है. हमारी सेना के पास मनोबल नामक ऐसा हथियार है, जिसके बल पर वह कठिन से कठिन परिस्थितियों में बिना साधनों के भी दुश्मन के दांत खट्टे करती रही है. पंजाब सहित देश का सीमावर्ती किसान अनेक तरह की समस्याओं से जूझ रहा है और देश की दूसरी रक्षापंक्ति की भूमिका निभा रहा है. हमें उसे उसके घर तक आधुनिक समाज की सारी सुविधाएं पहुंचानी होगी ताकि वह वहां से पलायन न करे. अगर सीमावर्ती समाज पलायन करता है तो इससे देश की सुरक्षा कमजोर पड़ेगी.

rashtriya suraksha jagran manch (6)इससे पूर्व राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पंजाब सह प्रांत संघचालक ब्रिगेडियर (से.नि.) जगदीश गगनेजा जी ने कहा कि पाकिस्तान चार युद्ध हारने के बाद पंजाब में आतंकवाद की लड़ाई भी हार चुका है और कश्मीर में हालात सामान्य हो रहे हैं. लेकिन देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए हर नागरिक को अपनी अपनी जिम्मेवारी निभानी होगी.

पंजाब की पूर्व स्वास्थ्य मंत्री लक्ष्मकांता चावला ने कहा कि जब तक देश को भूख, बेरोजगारी, अशिक्षा, महिला अत्याचार, दहेज जैसी समस्याओं से मुक्त नहीं किया जाता. तब तक आंतरिक व बाहरी सुरक्षा पर संकट मंडराता रहेगा. इस अवसर पर फोरम के पंजाब चैप्टर का पदार्पण किया गया. इसमें दीपक जोशी को प्रभारी, मनदीप अग्रवाल को सचिव, रेनु बाला व मंजू बाला को उपाध्यक्ष और रितेश शर्मा को प्रेस सचिव नियुक्त किया गया. फोरम पंजाब कृषि, नशों और राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर विभिन्न माध्यमों से जनजागरण का काम करेगा. समारोह में डिप्टी कमिशनर श्री केके यादव सहित अनेक गणमान्य लोग मौजूद थे.

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