नागरिकता संशोधन कानून पारित होने के बाद विरोध के नाम पर देशभर में हिंसा हुई. हिंसक प्रदर्शनों में विदेशियों के शामिल होने की घटनाएं भी सामने आई हैं. कुछ स्थानों पर पर्यटक और छात्र द्वारा वीज़ा पर भारत आए लोग भी भारत विरोधी एजेंडे में शामिल हुए हैं. एक जर्मन शिक्षाविद को सीएए के विरोध में आयोजित रैली में शामिल होने पर उसके देश वापिस भेज दिया गया. वहीं कोच्चि में सीएए के खिलाफ हो रहे प्रदर्शन में नॉर्वे की रहने वाली जॉनसन को नियमों का उल्लघंन करने पर भारत छोड़ने के लिए कहा गया..इसी प्रकार पाकिस्तान से संचालित ट्विटर हैंडल सीएए के विरोध में निरंतर ट्वीट करते रहे हैं.
नए मामले ध्याने में आए हैं, बांग्लादेशी रिपोर्टर ने कोलकाता में सीएए के विरोध में आयोजित रैली में भाग लिया. लेकिन उसके खिलाफ पुलिस ने अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की है. बांग्लादेशी पत्रकार नूर आलम एसके ने अपने फेसबुक अकाउंट पर सीएए के खिलाफ रैली में भाग लेने की तस्वीरें पोस्ट की थीं, एक तस्वीर में मोदी गो बैक का प्लेकार्ड लिए खड़े हैं. तस्वीरें वायरल होने के पश्चात पुलिस व प्रशासन पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं. कैसे एक गैर-भारतीय सीएए विरोधी प्रदर्शन में भाग ले रहा है, और पुलिस को पता ही नहीं.
मामले को गंभीरता से लेते हुए, 12 जनवरी को लीगल राइट्स ऑब्जर्वेटरी (एलआरओ) ने बांग्लादेशी पत्रकार नूर आलम के सीएए विरोधी प्रदर्शन में भाग लेने और कोलकाता रैली में ‘मोदी गो बैक’ प्लेकार्ड की तस्वीर के साथ विदेश मंत्रालय के पास शिकायत दर्ज कराई है. एलआरओ ने एमईए को तत्काल प्रभाव से उसकी जांच करवाने और निष्कासन का अनुरोध किया है. एलआरओ ने कोलकाता पुलिस आयुक्त के पास भी शिकायत दर्ज कराई है.. और अनुरोध किया है कि नूर आलम को गिरफ्तार किया जाए, उसके बाद तत्काल भारत से बाहर किया जाए क्योंकि उन्होंने प्रदर्शन में भाग लेकर वीजा नियमों का उल्लंघन किया है.
एलआरओ ने एक अन्य मामले का भी खुलासा किया है. विश्वभारती विश्वविद्यालय में पढ़ने वाली बांग्लादेशी छात्रा ने सीएए विरोध-प्रदर्शन में भाग लिया, और फेसबुक अकाउंट पर आपत्तिजनक तस्वीरें व कमेंट पोस्ट की हैं. यह छात्र वीज़ा नियमों के खिलाफ है. विश्वविद्यालय में पढ़ने वाली छात्रा अफसरा मीम भी बांग्लादेश के खुलना से हैं. एलआरओ ने गृह मंत्रालय से सीएए के विरोध प्रदर्शनों में अफसरा मीम की भूमिका की जांच करने का आग्रह किया है..