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क्या इस लव जिहाद को कबूल करेंगे?

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दुनिया की नजरों में तुम भले ही मेरी पत्नी बन गई हो, किंतु मेरे लिये तुम तब तक मेरी बीवी नहीं, जब तक तुम तीन बार ‘मुझे कबूल है, कबूल है, कबूल है’ नहीं कह देती.’ हिंदू रीति-रिवाज से एक हिंदू लड़की विवाह करके जब पहली बार ससुराल पहुंची तो उसे पता चला कि जिस लड़के ने खुद को हिंदू बताकर उससे शादी की है, वह वास्तव में मुसलमान है! सोच सकते हैं उस पर क्या बीती होगी? झूठे प्रेमजाल में फंस वैवाहिक जीवन के हसीन सपने लिये जिसे वह अपने जीवन की डोर थमा बैठी थी, उसी ने उसे सुहागरात के दिन इस्लाम में मतांतरण के लिये प्रताड़ित किया. भला इससे बड़ी त्रासदी और क्या होगी?

पिछले दिनों झारखंड की राजधानी रांची में ऐसी ही एक घटना सामने आई है. राष्ट्रीय रायफल शूटिंग में स्वर्ण पदक विजेता रही तारा शाहदेव ने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि जिस व्यक्ति के साथ वह विवाह करने जा रही है, वह वास्तव में इस्लामी कट्टरपंथियों द्वारा चलाए गये ‘लव जिहाद’ का भागीदार है. अपने को दुनिया के सामने रंजीत कुमार कोहली कहने वाले जिस व्यक्ति से तारा ने शादी की, वह वास्तव में रकीबुल हसन निकला. पहले तो तारा सारा माजरा समझ नहीं पाई और यह सोचकर कि जब शादी कर ही ली है तो ‘कबूल है,’ बोलने में क्या हर्ज है, उसने कबूल है, तीन बार दोहरा दिया. अगले ही पल जब उसके हाथों में कुरान थमाकर इस्लाम कबूल करने को कहा गया, तब उसे अपने साथ हुए छल का पता चला.

रकीबुल ने पहले ही दिन पत्नी को इस्लाम कबूल करने के लिये प्रताड़ित किया. उसका नाम तारा से बदल कर सारा कर दिया गया. जब तारा मतांतरण के लिये तैयार नहीं हुई तो रकीबुल और उसकी मां ने उसकी पिटाई की, उसे भूखा रखा. उसे भयभीत करने के लिये उसके ऊपर कुत्ते छोड़े गये. तारा को कैद रखा जाता था और परिजनों से बात करने की सख्त मनाही थी. तारा का मोबाइल रकीबुल ने छीन लिया था. उसके शरीर पर सिगरेट से जलाये जाने के निशान हैं. उसके साथ जबरन शारीरिक संबंध बनाये गये. वह दुबारा निशानेबाजी न कर सके, इसके लिये उसकी रीढ़ की हड्डी तोड़ने की भी कोशिश की गई है. आज वह ठीक से चल नहीं पाती. रकीबुल ने मामले का खुलासा करने पर पूरे परिवार को मार डालने की धमकी दी थी, इसलिये तारा कई दिनों तक चुपचाप प्रताड़ना सहती रही.

रकीबुल की अनुपस्थिति में उसने नौकरानी के हाथों अपने परिजनों को संदेशा भेजा, जिसके बाद उसे खुली हवा नसीब हुई. मामला उजागर होने के बाद रकीबुल अपनी मां के साथ फरार हो गया और मंगल-बुध की रात को वह दिल्ली-गुड़गांव में पुलिस के हत्थे चढ़ा. जांच में जुटी पुलिस ने रकीबुल के तीन मकानों को सील कर दिया है. ये मकान बीस-बीस हजार रु. प्रति माह के किराये पर लिये गये थे. रकीबुल की आधा दर्जन से अधिक महंगी गाड़ियों को भी जब्त किया गया है.

इस घटना की मीडिया में चर्चा तो हुई, किंतु किसी ने बुनियादी सवालों को खड़ा करने की चिंता नहीं की. कुछ समय से पश्चिमी उत्तर प्रदेश ‘लव जिहाद’ की मानसिकता के कारण दंगों की चपेट में है. राज्य के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव इसे हल्के में लेते हुए कटाक्ष करते हैं कि किसी को प्यार करने से कैसे रोका जा सकता है. वहीं सेकुलरिस्टों का कुतर्क है कि ‘लव जिहाद’ वोटों का ध्रुवीकरण करने के लिये संघ परिवार की सुनियोजित साजिश है. सवाल उठता है कि केवल हिंदू लड़कियां ही मुस्लिम लड़कों के प्रेमपाश में क्यों फंस रही हैं? यदि विवाह दो दिलों का मिलन है तो केवल हिंदू लड़कियों को मतांतरण के लिये क्यों मजबूर किया जाता है? मुस्लिम लड़के मतांतरण कर अपने प्यार का प्रमाण क्यों नहीं देते?

वास्तविकता सेकुलर कुतर्कों के ठीक विपरीत है. जब कभी भी मुस्लिम लड़कियां हिंदू लड़कों से विवाह करती हैं, मुस्लिम समुदाय का कट्टरपंथी वर्ग सड़कों पर उतर कर कोहराम मचा देता है. वहीं हिंदू लड़की के मुस्लिम से निकाह करने पर खुशियां मनाई जाती हैं. क्यों?

कुछ साल पूर्व एक टीवी चैनल पर ‘‘समीर-जारा’’ शीर्षक से एक समाचार दिखाया गया था. मुंबई की कल्याण बस्ती की रहने वाली हिंदू लड़की वत्सला ने मुसलमान युवक समीर से निकाह कर लिया था. लड़की के परिजनों ने युवक पर अपहरण का मुकदमा दाखिल कर दिया. तीन साल बाद सीबीआई को दोनों के नेपाल में होने का पता चला. अदालत ने लड़की की इच्छा जानने के बाद निकाह को वैध घोषित कर दिया. इस निकाह को मीडिया में प्यार की जीत के रूप में परोसा गया और निकाह का विरोध करने वाले हिंदू परिवार को घोर कट्टर बताया गया. वहीं बहू को स्वीकारते हुए लड़के की दादी कहती हैं, ‘‘बहू आई, बहुत खुशी हुई, ईमान लाई, मुसलमान हुई.’’ उक्त चैनल ने यह पूछने की आवश्यकता नहीं समझी कि यदि समीर ने हिंदू धर्म स्वीकार कर लिया होता, तब भी क्या परिवार में बहू आने की इसी तरह खुशियां मनतीं?

इसके विपरीत मुस्लिम युवती और हिंदू लड़के के बीच प्रेम संबंध और विवाह पर आधारित ‘बाम्बे’ फिल्म का क्या हश्र हुआ था? तब कठमुल्लों ने भारी हंगामा खड़ा किया था, कई जगहों पर फिल्म चलने नहीं दी गई.

अगस्त, 2009 में मुस्लिम बहुल कश्मीर घाटी की एक मुस्लिम युवती-अमीना युसुफ ने जम्मू के हिंदू लड़के रजनीश शर्मा से विवाह किया था. जम्मू के आर्यसमाज मंदिर में दोनों का विवाह हुआ और अमीना ने स्वेच्छा से हिंदू धर्म को अपनाते हुए अपना नाम आंचल रख लिया. अमीना के रसूखदार पिता को यह नागवार गुजरा और पुलिस हिरासत में रजनीश की हत्या हो गई. स्वयं अमीना ने तब पत्रकारों के समक्ष यह आरोप लगाया था कि यदि रजनीश ने धर्म बदल लिया होता तो मेरे पिता मेरे निकाह में नाचते और लड्डू बांटते.

सेकुलरिस्ट ‘लव जिहाद’ को स्वीकारने से इनकार करते हैं, जबकि दक्षिण भारत के केरल, तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, झारखंड, उत्तर प्रदेश में यह चरम पर है. केरल के पूर्व मार्क्सवादी मुख्यमंत्री वीएस अच्युतानंद ने सार्वजनिक तौर पर कहा था कि समूचे केरल के इस्लामीकरण की साजिश चल रही है. वहां सुनियोजित तरीके से हिंदू लड़कियों के साथ मुस्लिम लड़कों के निकाह करने का षड्यंत्र चलाया जा रहा है.

दिसंबर, 2009 में केरल उच्च न्यायालय के न्यायाधीश केटी शंकरन ने लव जिहाद पर कटु टिप्पणी करते हुए कहा था, ‘‘ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि प्यार की आड़ में जबरन मतांतरण की साजिश चल रही है. छल और फरेब के आधार पर इस तरह के मतांतरण को स्वीकार नहीं किया जा सकता.’’

इससे काफी पहले सन 2006 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने भी तत्कालीन प्रदेश सरकार से पूछा था कि केवल हिंदू लड़कियां ही इस्लाम क्यों कबूल रही हैं? निकाह के लिये मुस्लिम लड़के अपना मजहब क्यों नहीं बदलते? न्यायमूर्ति राकेश शर्मा ने तब टिप्पणी की थी, ‘‘न्यायालय के सामने लगातार ऐसे मामले आ रहे हैं, जिनमें हिंदू लड़कियों से इस्लाम कबूल करवाने के बाद उनका निकाह मुस्लिम लड़कों के साथ कर दिया जाता है. निकाह के बाद उनका पता ठिकाना नहीं मिलता.’’ सेकुलरिस्ट अदालतों की इन टिप्पणियों को कैसे नकारेंगे?

‘लव जिहाद’ के लिये सीमा पार के जिहादी संगठनों द्वारा मुस्लिम लड़कों को बाकायदा कॉलेज जाने वाली हिंदू लड़कियों को प्रेमजाल में फंसाने के लिए बहाल किया जाता है. आकर्षक दिखने वाले ऐसे मुस्लिम लड़कों के खर्चीले रहन-सहन का सारा भार संगठन ही उठाता है. ऐसे लड़कों को अमीर खानदान का वारिस दर्शाने के लिये उन्हें कार, मोटरसायकिल, महंगे मोबाइल आदि भी उपलब्ध कराये जाते हैं. इसलिये हिसाब से झारखंड सरकार को भी रकीबुल के आय स्रोतों की जांच करनी चाहिये.

‘लव जिहाद के तहत हिंदू युवतियों से निकाह के बाद इन युवकों का असली चेहरा सामने आता है. ऐसी युवतियों को बाहरी दुनिया से संपर्क नहीं करने दिया जाता. उनका अधिकांश समय आतंक, जिहाद और अंततः उनके द्वारा अपनाये गये नये मजहब की जीत का महिमामंडन करने वाली वीडियो या पर्चों-पुस्तकों को देखने-पढ़ने में ही व्यतीत होता है. यह सब कुछ उन्हें जिहादी बनाने और आत्मघाती मानव बम बनाने की रणनीति का हिस्सा है. अभी हाल तक अधिकांश मुस्लिम युवक हिंदू युवती से प्रेम विवाह मजहबी जुनून से प्रेरित होकर करते थे और इस ‘सवाब’ के काम में अकसर उसके परिजन भी सहायक होते थे, क्योंकि एक काफिर ‘मोमिन’ हो गई. लेकिन अब तो इस मजहबी जुनून को जिहाद का एक अस्त्र बना दिया गया है.

(लेखक बलबीर पुंज भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं)

 

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