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कड़े परिश्रम, प्रमाणिकता और पारदर्शिता से सफलता प्राप्त होगी – राम नाईक जी

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सीमा जागरण मंच द्वारा आयोजित निबन्ध प्रतियोगिता के विजेताओं को राज्यपाल ने पुरस्कृत किया

लखनऊ (विसंकें). उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक जी ने लखनऊ पब्लिक कॉलेज में सीमा जागरण मंच द्वारा आयोजित वाद – विवाद एवं निबन्ध प्रतियोगिता के विजेता छात्र-छात्राओं को प्रशस्ति पत्र एवं नकद पुरस्कार देकर सम्मानित किया. प्रतियोगिता तीन श्रेणियों क्रमशः कक्षा 5 से 8, कक्षा 9 से 12 तथा स्नातक से परास्नातक तक के विद्याथियों के लिये आयोजित की गई थी, जिसमें लगभग प्रदेश के 80 हजार से छात्र-छात्राओं ने भाग लिया था. पुरस्कार वितरण समारोह में विशिष्ट अतिथि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह प्रांत संघचालक डॉ. हरमेश चौहान जी, कार्यक्रम के संयोजक डॉ. श्रीकांत शुक्ला जी सहित अन्य गणमान्य मंच पर उपस्थित थे.

राज्यपाल जी ने कहा कि देश की सीमाओं का सुरक्षित होना, देश की अस्मिता और सम्मान के लिये आवश्यक है. सैनिकों के त्याग और बलिदान के कारण ही देशवासी सुख और शांति से जीवन व्यतीत करते हैं. सेना देश के लिये क्या करती है, यह जानकार समाज में एक भावनात्मक जुड़ाव पैदा होगा. विपरीत और विषम परिस्थितियों से जूझकर हमारे सैनिक हमें सुरक्षित होने का अहसास कराते हैं. छात्र -छात्राओं और युवाओं को सेना और सेना के शहीदों से जुड़े स्थल दिखाए जाएं, जिससे उन्हें देशभक्ति की प्रेरणा मिले.

उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त की कि पुरस्कार प्राप्त करने वाले 18 विद्यार्थियों में 14 छात्राएं हैं. महिलाएं हर क्षेत्र में आगे आ रही हैं. सन् 1954 में जब उन्होंने बीकॉम परीक्षा पास की थी, तब 150 छात्रों में केवल 4 छात्राएं थी. आज 45 प्रतिशत छात्राएं स्नातक कक्षाओं में हैं. कुलाधिपति के तौर पर उन्होंने पाया कि उत्कृष्ट प्रदर्शन कर 65 प्रतिशत पदक छात्राएं प्राप्त कर रही हैं. आज हर क्षेत्र में महिलाएं प्रतिनिधित्व कर रही हैं. पूर्व में छात्राएं केवल नर्सिंग और शिक्षण के क्षेत्र में सेवा करती थीं, जबकि अब प्रशासनिक सेवा से लेकर सेना तक में महिलाएं हैं. हमारे देश की रक्षा मंत्री भी महिला हैं. उचित वातावरण मिलता है तो महिलाएं आगे बढ़ सकती हैं. उन्होंने कहा कि महिला सशक्तीकरण के लिए यह एक शुभ संकेत है.
राम नाईक जी ने कहा कि जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिये विद्यार्थी अपने धर्म का पालन करें. विद्यार्थी का धर्म पढ़ाई और ज्ञान अर्जन करना है. पढ़ाई के साथ-साथ विद्यार्थी अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखें क्योंकि आगे बढ़ने के लिये ज्ञान और स्वास्थ्य दोनों जरूरी हैं. कड़े परिश्रम, प्रमाणिकता और पारदर्शिता से सफलता प्राप्त होगी. असफलता से घबराएं नहीं, बल्कि आत्म परीक्षण कर दोबारा प्रयास करें. जीवन के लक्ष्य की ओर जाते समय चरैवेति-चरैवेति के मंत्र को आत्मसात करें. देश को आगे ले जाने में विद्यार्थी अपनी भूमिका का निर्वहन करते हुए अच्छे नागरिक बनने का प्रयास करें.

विशिष्ट अतिथि डॉ. हरमेश चौहान जी ने सीमा जागरण मंच के बारे में विस्तार से चर्चा की। उहोंने कहा कि बच्चों को देशभक्ति के संस्कार दें, जिससे वे अपने कर्तव्य को जानें. महात्मा गांधी, नेताजी सुभाष चन्द्र बोस, वीर सावरकर ने देश की स्वतंत्रता के लिये जो प्रयास किया, उसके प्रति समाज की भी जिम्मेदारी बनती है. सीमा सुरक्षा में समाज की भागीदारी से सेना को बल मिलता है. देश की सीमा सुरक्षित है तो देशवासी भी सुरक्षित रहेंगे.

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