नई दिल्ली. राष्ट्रीय सिख संगत की राज्य में उग्रवाद के दौर में जेलों में बंद 78 वयोवृद्ध लोगों की रिहाई की मांग पर केन्द्रीय गृह मंत्री राज नाथ सिंह की अनुकूल प्रतिक्रिया मिली है. गृह मंत्री ने आश्वासन दिया कि ऐसे सारे मामले, जिनमें कोई कानूनी बाधा नहीं है, उन सभी में केन्द्र सरकार अपनी सहमति दे देगी.
संगत के एक शिष्टमंडल ने गृहमंत्री से मुलाकात कर कहा था कि पंजाब के उग्रवाद के दिनों से जो लोग मुकदमों के कारण विभिन्न जेलों में बंद है उनकी कुछ की उम्र 65 साल से लेकर 85 साल तक है, कुछ लोग 20 साल से अध्कि समय से जेल में है, वैसे भी पंजाब में उग्रवाद भूतकाल का विषय हो गया है. ऐसी परिस्थितियों इन सब सिखों को रिहा कर दिया जाना चाहिये. क्योंकि इन मुकदमों की जांच सी.बी.आई. ने की थी. इसीलिये केन्द्र सरकार की सहमति आवश्यक है. शिष्ट मण्डल ने ऐसे 78 लोगों की सूची प्रथम चरण में सौंपी है. संगत की एक प्रेस विज्ञप्ति में यह जानकारी दी गई है.
शिष्टमण्डल में राष्ट्रीय सिख संगत के संरक्षक स. चिरंजीव सिंह, राष्ट्रीय अध्यक्ष स. गुरचरन सिंह गिल, राष्ट्रीय महामंत्री संगठन श्री अविनाश जायसवाल एवं राष्ट्रीय महामंत्री एवं मीडिया प्रभारी डॉ. अवतार सिंह शास्त्री, गुरमत प्रचारक संत समाज के अध्यक्ष एवं दमदमी टकसाल के प्रमुख बाबा हरनाम सिंह धूमा, महासचिव बाबा सुखचैन सिंह, अकाल तख्त के पूर्व जत्थेदार भाई जसबीर सिंह खालसा, केशगढ़ साहिब के जत्थेदार सिंह साहिब ज्ञानी मल सिंह जी तथा स्वर्ण मन्दिर के मुख्य ग्रंथी ज्ञानी जगतार सिंह जी, दिल्ली गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष स. मनजीत सिंह जी.के. आदि शामिल थे.
शिष्ट मण्डल ने गृहमंत्री जी से यह भी कहा कि उग्रवाद के दिनों में जो लोग बाहर चले गये थे, उनको काली सूची में डाल रखा है. जिससे वे लोग तथा उनके वंशज भारत में नहीं आ पा रहे हैं. ये लोग भारत में आकर, यदि उनके विरुद्ध कोई मामला है तो मुकदमे का सामना करने को तैयार हैं. शिष्ट मण्डल ने यह भी अवगत कराया कि उस काल में विदेशों में रहने वाले जिन सिखों ने खालिस्तान के समर्थन में बयान दिये थे या नारे लगाये थे, उनको भी काली सूची में डाल रखा है. वे लोग भी भारत में आना चाहते हैं इसीलिये उस काली सूची को समाप्त किया जाये.गृहमंत्री ने इस मामले में भी सकारात्मक कार्रवाई का पूरा भरोसा दिलाया.
प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार शिष्ट मण्डल ने गृहमंत्री को इस बात के लिये धन्यवाद दिया, कि उन्होंने 1984 के सिखों की हत्याओं को दंगा ना कहकर नरसंहार कहा. गृहमंत्री ने कहा, “ वे सिख समाज के प्रति गहरा आदर रखते है. यदि गुरु साहिबान द्वारा शिक्षित सिखों ने इस देश के धर्म और संस्कृति की रक्षा ना की होती तो आज हिन्दुस्थान, हिन्दुस्थान नहीं होता, यहां लोकतंत्र नहीं होता. मैं सिखों की हर जायज मांग को पूरा करूंगा.”