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गोरखपुर का प्रथम अप्रवासी भारतीय स्वयंसेवक सम्मेलन

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गोरखपुर (विसंकें). विदेशों में रहकर व्यापार या नौकरी करने वाले गोरखपुर के अप्रवासी स्वयंसेवक बन्धुओं का प्रथम सम्मेलन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, गोरखपुर द्वारा तारामण्डल, भगत चौराहा स्थित देवकी लॉन में शनिवार (31 मार्च) को आयोजित किया गया. सम्मेलन में प्रमुख रूप से थाईलैंड, सिंगापुर, मलेशिया, खाड़ी देशों, फिलीपींस आदि में रहने वाले स्वयंसेवक उपस्थित रहे. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विश्व विभाग हिन्दू स्वयंसेवक संघ (HSS) के सह संयोजक अनिल वर्तक जी रहे. मुख्य अतिथि द्वारा हनुमान जी एवं संघ संस्थापक डॉ. हेडगेवार जी के चित्र पर पुष्पार्चन व दीप प्रज्ज्वलन से कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ.

गोरक्ष प्रान्त प्रचारक मुकेश विनायक जी ने उपस्थित अप्रवासी स्वयंसेवकों को हनुमान जयन्ती की शुभकामना दी. उन्होंने कहा कि राष्ट्रहित में एक दिन या कुछ दिनों के अभियान से बात नहीं बनती. संघ की शाखाओं में प्रत्येक दिन एक घण्टे का समय देने से स्वयंसेवक एक पद्धति को सीखता है. तो उसका असर बाकी 23 घण्टे दिखता है.

मुख्य अतिथि अनिल वर्तक जी ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को दूसरे देशों तक फैलाने वाले एचएसएस (हिन्दू स्वयंसेवक संघ) ने अब अपना दायरा काफी बढ़ा लिया है. एचएसएस अमेरिका समेत 39 देशों में अपनी शाखाएं लगाता है. उन्होंने कहा कि संघ की विदेश में पहली शाखा एक जहाज पर लगी थी. सन् 1946 में माणिकभाई रुगानी और जगदीश चंद्र शारदा नाम के दो स्वयंसेवक मुंबई से केन्या के मोमबासा जा रहे थे. इन दोनों ने जहाज पर ही संघ की पहली शाखा लगाई. विदेशी धरती पर संघ की पहली शाखा मोमबासा में लगी. अनिल जी ने कहा कि विदेशों में हम ‘राष्ट्रीय’ शब्द का इस्तेमाल नहीं कर सकते. हम इसे हिन्दू स्वयंसेवक संघ कहते हैं, क्योंकि यह विश्व भर में हिन्दुओं को जोड़ता है. उन्होंने कहा कि विदेशों में भी हम सभी हिन्दू संघ के सभी प्रमुख उत्सवों को बड़े ही उत्साह से मनाते हैं. इन्हीं उत्सवों व साप्ताहिक, मासिक शाखाओं के माध्यम से हम एक स्थान पर एकत्र होते हैं. आग्रह किया कि विदेशों में रहते हुए भी भारत के निर्माण व विभिन्न सेवा कार्यों में हमें अपना यथा संभव योगदान देना चाहिए.

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