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ग्रामीणों के संकल्प से जंगल में फैली हरियाली

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थौलधार के बमराड़ी गांव में ग्रामीणों ने पचास साल से संरक्षित कर रखा है बांज का जंगल

देहरादून (विसंकें). थौलधार के बमराड़ी गांव में ग्रामीणों ने पचास चाल पहले पर्यावरण संरक्षण का जो संकल्प लिया था. वह आज हरियाली के रूप में सामने है. ग्रामीणों के सामूहिक प्रयास से पिछले पचास साल से यह बांज का जंगल हरा-भरा है. करीब पांच हेक्टेयर भूमि में फैले जंगल के संरक्षण के लिए ग्रामीणों ने अपने कायदे कानून बना रखे हैं. यदि कोई इसका उल्लंघन करता है तो उस पर जुर्माना लगाया जाता है. गांव की सीमा में त्रिदेव मंदिर की कसम खाई जाती है कि कोई भी जंगल को क्षति नहीं पहुंचाएगा और न ही पेड़ काटेगा.

थौलधार प्रखंड के बमराड़ी गांव ने पर्यावरण की मिसाल कायम की है. साठ के दशक में गांव के प्रधान रहे विद्यादत्त, राय सिंह, श्याम सिंह की अगुवाई में गांव के कुछ लोगों ने पर्यावरण संरक्षण के लिए पहल की थी. इसके लिए गांव के समीप ही बांज के पौधे लगाए. आज पचास साल बाद यह पौधे फलफूल कर विशाल जंगल के रूप में फैल गए हैं. गांव की करीब पांच सौ की जनसंख्या जंगल के संरक्षण में जुटी है. नई पीढ़ी भी इसके संरक्षण को आगे आ रही है. जंगल के संरक्षण के लिए ग्रामीणों ने बाकायदा अपने कानून बना रखे हैं. जंगल से न तो कोई बिना अनुमति के लकड़ी ले जा सकता है और न ही यहां पेड़ों को क्षति पहुंचाई जाती है. जंगल पंद्रह दिन में एक बार खुलता है और इसकी बाकायदा पंचायत घोषणा करती है. जब जंगल खुलता है तो वहां से ग्रामीण केवल चारा, पत्ती व सूखी लकड़ियां लाते हैं. जंगल की देखभाल के लिए लगाए गए लोग रास्ते में इसकी पड़ताल करते हैं कि कहीं किसी ने पेड़ की टहनी तो नहीं तोड़ी, यदि कोई नियमों का उल्लंघन करता है तो उस पर कुछ समय के लिए जंगल में जाने का प्रतिबंध लगाया जाता है. इसके अलावा जुर्माना भी लगाया जाता है. यही नहीं जंगल होने के कारण यहां पर जलस्त्रोत भी है, जो कई बार ग्रामीणों की पानी की जरूरत को भी पूरा करता है. इस बात पर भी नजर रखी जाती है कि दूसरे गांव के लोग जंगल में न घुस पाएं.

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