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जामिया हिंसा – सर्वोच्च न्यायालय ने हस्तक्षेप करने से इंकार किया

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नई दिल्ली. जामिया मिल्लिया इस्लामिया और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय हिंसा मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने याचिकाकर्ताओं को उच्च न्यायालय जाने का निर्देश दिया है. न्यायालय ने कहा कि विभिन्न स्थानों पर घटनाएं हुई हैं, इसलिए यहां सुनवाई संभव नहीं है. आपको संबंधित उच्च न्यायालय जाना होगा. उच्च न्यायालय गिरफ्तारी सहित किसी भी तरह का फैसला लेने के लिए स्वतंत्र है. सर्वोच्च न्यायालय ने न्यायिक जांच कराने से भी इनकार कर दिया है.

सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि हमें हस्तक्षेप करने की आवश्यकता नहीं है. यह कानून और व्यवस्था की समस्या है, बसें कैसे जल गईं? मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि ये मामला हाईकोर्ट क्यों नहीं ले जाया गया?

जामिया और एएमयू छात्रों की वकील इंदिरा जय सिंह ने कहा कि ये एक से ज्यादा राज्यों का मामला है, इसलिए इसकी एसआईटी जांच जरूरी है. अदालत इस मामले से किनारा कैसे कर सकती है. अदालत ने तेलंगाना एनकाउंटर मामले की भी सुनवाई की थी. हम इस मामले में इसी तरह का निर्देश चाहते हैं.

मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एसए बोबड़े ने कहा कि तेलंगाना मामले में एक आयोग का गठन कर जांच कराई जा सकती थी, लेकिन इस मामले में कोई कमेटी ही नहीं बनी है जो पूरे देश के मामलों को देख सके.

न्यायालय ने कहा कि हम पुलिस को एफआईआर दर्ज करने से नहीं रोक सकते हैं. कोई कानून तोड़ता है तो पुलिस क्या कर सकती है. आप इस मामले में हाईकोर्ट जा सकते हैं.

पुलिस का पक्ष तुषार मेहता ने रखा. उन्होंने कहा कि 68 जख्मी लोगों को अस्पताल पहुंचाया गया. अदालत ने पुलिस से पूछा कि बिना पूछे गिरफ्तारी क्यों की गई, इस पर उन्होंने कहा कि किसी भी छात्र को गिरफ्तार नहीं किया गया है. कोई भी जेल में नहीं है.

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