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तकनीकी राष्ट्रवाद एवं आर्थिक राष्ट्रनिष्ठा आज की आवश्यकता – प्रो. भगवती प्रसाद शर्मा

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udaipurभोपाल (विसंकें). अर्थशास्त्री एवं पैसिफिक विश्वविद्यालय उदयपुर के कुलपति प्रो. भगवती प्रसाद शर्मा जी ने कहा कि विश्व में यदि हमें अग्रिम पंक्ति में स्थान पाना है तो ज्ञान आधारित क्षेत्रों में अपना योगदान बढ़ाना होगा. इसके लिए आवश्यक है कि हम अपने खुद के उत्पाद एवं ब्रांड विकसित करें. तकनीकी क्षेत्रों में भारतीय मानव संसाधन दुनिया में पहचाना जाता है, परंतु इनके द्वारा तैयार किए गए तकनीकी उत्पाद का फायदा वैश्विक मल्टीनेशनल कंपनियाँ उठाती हैं. इससे भारतीय ज्ञान एवं प्रतिभा से प्राप्त मुनाफा विदेशी कंपनियों को प्राप्त होता है. इसे रोकने के लिए भारत को तकनीकी राष्ट्रवाद एवं आर्थिक राष्ट्रनिष्ठा की ओर जाना होगा. वह टीटी नगर स्थित समन्वय भवन में पत्रकारिता विश्वविद्यालय के सत्रारम्भ कार्यक्रम के दूसरे दिन संबोधित कर रहे थे.

सत्रारम्भ कार्यक्रम की शुरूआत में पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम को भावभीनी श्रृद्धांजलि दी गई. कुलपति प्रो. बृजकिशोर कुठियाला ने डॉ. कलाम के वर्ष 2012 में हुए प्रवास के प्रसंगों का उल्लेख करते हुए सभागर में उपस्थित विद्यार्थियों को वह शपथ दिलवाई जो वर्ष 2012 में डॉ. कलाम ने विद्यार्थियों को दिलवाई थी. दो मिनट के मौन के उपरांत सत्रारम्भ कार्यक्रम डॉ. कलाम की स्मृतियों के साथ संचालित हुआ.

भारत का आर्थिक परिदृश्य – अवसर और चुनौतियाँ विषय पर प्रो. शर्मा ने कहा कि टेली टेलीकाम सहित अनेक क्षेत्र ऐसे हैं, जिसमें स्वदेशी तकनीक अपनाई जा सकती थी. परंतु इन तकनीकी क्षेत्रों में आज हमारी निर्भरता यूरोप की कंपनियों पर है, जबकि चीन ने अपनी तकनीक विकसित कर ली है. मीडिया एफडीआई को इस तरह प्रस्तुत करता है जैसे देश के लिए वह कोई बड़ी उपलब्धि है, जबकि इसके विपरीत एफडीआई से सबसे बड़ा नुकसान यह है कि मुनाफा देश के बाहर जाएगा. आज हमें अपने अर्थतंत्र को ठीक तरह से समझने की आवश्यकता है. आर्थिक चुनौतियों को आर्थिक अवसरों में कैसे बदला जाए, इस पर विचार किया जाना चाहिए. इस दौरान सत्रारंभ कार्यक्रम के प्रथम दिवस की गतिविधियों पर आधारित समाचारपत्र का विमोचन भी मंचासीन अतिथियों द्वारा किया गया.

डिजिटल दुनिया का बदलता परिदृश्यविषयक सत्र में बोलते हुए सूचना प्रौद्योगिकी विशेषज्ञ प्रशांत पोल जी ने कहा कि पूरी दुनिया डिजिटल क्रांति के दौर से गुजर रही है. दुनिया को बदलने वाले कारकों में मोबाईल फोन सबसे आगे है. भारत मोबाईल डेनस्टी के मामले में दुनिया में दूसरे स्थान पर है. हमारे देश में आज लगभग 95 करोड़ के आसपास मोबाईल फोन हैं. पहले नदियों के पास शहर एवं संस्कृतियाँ विकसित होती थीं. अब फाइबर आप्टिक्स के पास शहर एवं संस्कृतियाँ विकसित होंगी. डिजिटल दुनिया के विस्तार का अंदाज हम इस बात से लगा सकते हैं कि आज चाईना के बाद फेसबुक दुनिया की दूसरी बड़ी कम्युनिटी है. संचार के प्रभावी सूत्रविषयक सत्र में डॉ. प्रियंका जैन ने कहा कि प्रभावी संचार के लिए सुनना एवं पढ़ना बहुत जरूरी है. तोलमोल के बोल संचार की सफलता का एक बड़ा सूत्र है. हमें संचार करते समय स्वाभिमान एवं अभिमान के बीच स्पष्ट अंतर करना चाहिए. उन्होंने विद्यार्थियों को संचार की सफलता के अनेक सूत्र बताए.

अंतिम सत्र में विश्वविद्यालय के कुलाधिसचिव लाजपत आहूजा ने विश्वविद्यालय की संरचना का परिचय देते हुए दादा माखनलाल चतुर्वेदी के योगदान से विद्यार्थियों को अवगत कराया. पत्रकारिता विभाग की विभागाध्यक्ष, डॉ. राखी तिवारी ने रैगिंग के दुष्परिणामों पर प्रकाश डाला. साथ ही विज्ञापन एवं जनसंपर्क विभाग के विभागाध्यक्ष, डॉ. पवित्र श्रीवास्तव ने पुरुष-महिला व्यवहारिक सम्मान पर अपनी बात रखी.

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