जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद ने श्रीनगर के वीवीआईपी जोन में स्थित अपना सरकारी आवास खाली कर दिया है. अब नेशनल कांफ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला और पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती सहित अन्य पूर्व राजनेताओं को भी जल्द ही अपना सरकारी बंगला खाली करना होगा. गुलाम नबी आजाद को सरकार द्वारा मुफ्त में श्रीनगर गुपकार रोड पर स्थित जम्मू-कश्मीर बैंक का गेस्ट हाउस दिया गया था. जम्मू-कश्मीर केन्द्र शासित प्रदेश बनने के बाद अब वहां की जनता और राजनेता सीधे तौर पर सर्वोच्च न्यायालय के दायरे में आ गए हैं. सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व के आदेश के अनुसार पूर्व मुख्यमंत्री या फिर कोई राजनेता जो किसी संवैधानिक पद पर है, वह जीवनभर सरकारी बंगलों में नहीं रह सकता है. पद मुक्त होने के बाद उन्हें अपना सरकारी बंगला भी खाली करना होगा.
पूर्व मुख्यमंत्रियों को मिलता है सरकारी भत्ता
अभी तक जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्रियों को कार, ड्राइवर, पेट्रोल, चिकित्सा और सरकारी आवास की सुविधा मिलती थी. साथ ही उन्हें आवासीय खर्च के लिए प्रति वर्ष 35 हजार रुपये, टेलीफोन सेवा के लिये प्रति वर्ष 48 हजार रुपये और बिजली के लिये प्रति माह 1500 रुपये मिलता था.
मई 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने उस आदेश को रद्द कर दिया था, जिसमें सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों को जीवनभर सरकारी बंगलों में रहने की अनुमति दी गई थी. परंतु जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 लागू होने के कारण यहां के पूर्व मुख्यमंत्री इस आदेश से बचे हुए थे और सरकारी बंगलों में रह रहे थे. अब जम्मू-कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश बनने के साथ ही सुप्रीम कोर्ट का आदेश यहां भी लागू हो गया है. सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों और राजनेताओं को सरकारी आवास खाली करना होगा.
उमर और महबूबा ने बंगलों के नवीनीकरण पर खर्च किये है 50 करोड़ रुपये
उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती अभी भी सरकारी बंगले में रहते हैं. टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार दोनों ने अपने बंगलों के नवीनीकरण पर लगभग 50 करोड़ रुपये खर्च किये हैं.