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प्रस्ताव – शबरीमला संघर्ष-अपनी परम्पराओं और आस्था को बचाने का संघर्ष

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प्रयागराज में कुंभ के अवसर पर आयोजित विश्व हिन्दू परिषद् की प्रबंध समिति एवं न्यासी बैठक में दो प्रस्ताव पारित किए गए. पहला प्रस्ताव शबरीमला में अपनी परंपराओं तथा आस्था को बचाने का संघर्ष चल रहा है. हिन्दू विरोधियों द्वारा ऐतिहासिक, प्राचीन हिन्दू परम्परा के प्रति अविश्वास व अश्रद्धा का भाव निर्माण कर उन्हें अपमानित किया जा रहा है. प्रस्ताव में इन प्रयासों की निंदा की गई.

केन्द्रीय प्रबन्ध समिति एवं प्रन्यासी मण्डल बैठक

दिनांक 17 जनवरी, 2019

कुम्भ मेला क्षेत्र, प्रयागराज

केरल में भगवान अयप्पा मन्दिर सदियों से करोड़ों हिन्दुओं की आस्था का केन्द्र रहा है। हिन्दू विरोधी शक्तियों के द्वारा यहाँ की ऐतिहासिक, प्राचीन हिन्दू परम्परा के प्रति अविश्वास व अश्रद्धा का भाव निर्माण कर उन्हें अपमानित किया जा रहा है।

शबरीमला सहित भारत में स्थित प्रत्येक मन्दिर का अपना इतिहास एवं विशिष्ट परम्परा  रही है, जो भारत के पूज्य ऋषि-मुनियों द्वारा स्थापित है। सदियों से हिन्दू समाज इन परम्पराओं के आधार पर श्रद्धा से पूजन करता आया है।

गत कुछ वर्षों से देखने में आया है कि हिन्दू परम्पराओं के प्रति समाज में अश्रद्धा और अविश्वास निर्माण कर अपमानित और कलंकित करने का कुप्रयास किया जा रहा है। दक्षिण भारत का शबरीमला मन्दिर इसका ताजा उदाहरण है। कभी पर्यावरण के नाम पर तो कभी आधुनिकता के नाम पर इस प्रकार के विवाद जानबूझ कर खड़े किए जाते हैं और हिन्दू परम्पराओं के प्रति समाज में अश्रद्धा और अविश्वास निर्माण कर बदनाम किया जाता है। जबकि हिन्दू समाज ने स्वयं समय-समय पर अपने गुण-दोषों का परिमार्जन किया है।

शबरीमला मन्दिर में 1950 में ईसाइयों द्वारा आग लगाई गई और विग्रह भंग किया गया, 1982 में मन्दिर की जमीन पर क्रास गाड़ा गया और अभी हजारों मुस्लिम महिलाएं ‘‘महिला दीवार’’ शबरीमला के विरुद्ध में बनाती हैं, यह सब उदाहरण इस षड्यंत्र की व्यापकता को दर्शाते हैं। जहाँ पर न्यायपालिका की आड़ में केरल सरकार ने भगवान अयप्पा भक्तों पर दमनचक्र चला रखा है। जिसके कारण 5 भक्तों को जान से हाथ धोना पड़ा, सैंकड़ों भक्तों को गिरफ्तार किया गया। 5000 प्रकरणों के माध्यम से लगभग 15,000 भक्तों को गिरफ्तार करने का षड्यंत्र रचा गया है। लाखों अयप्पा भक्तों ने श्रृंखला बनाकर और अन्य प्रदर्शनों के माध्यम से मन्दिर की पुरातन परम्परा को बनाए रखने के लिए संघर्ष किया है किन्तु केरल सरकार द्वारा षड्यंत्रपूर्वक इनका अपमान करने के लिए जिनकी श्रद्धा नहीं है, उनको रात में भेष बदलकर जबरन व छलपूर्वक दर्शन करवाए गए।

विश्व हिन्दू परिषद अयप्पा भक्तों विशेष तौर पर हिन्दू महिलाएं एन.एस.एस., के.पी.एम.एस., एस.एन.डी.पी., आर्य समाज, पीपुल आॅफ धर्मा तथा अन्य कई हिन्दू संगठनों के इस पावन संघर्ष का अभिनन्दन करती है जिन्होंने शबरीमला के संघर्ष को अयोध्या आन्दोलन के समकक्ष खड़ा कर दिया है।

इतना सब कुछ होने के बाद हिन्दू समाज की धारणा बनी है कि केरल की वामपंथी सरकार जेहादी तत्वों, वामपंथी अराजक गुण्डों तथा प्रशासन के माध्यम से भगवान अयप्पा के भक्तों पर दमनचक्र चला रही है। विश्व हिन्दू परिषद का यह अभिमत है कि न्यायपालिका तथा सरकार को हिन्दू परम्पराओं व मान्यताओं के पालन में हस्तक्षेप से दूर रहना चाहिए।

विश्व हिन्दू परिषद केरल की वामपंथी सरकार के इस दमनचक्र की घोर भत्र्सना करती है और हिन्दू समाज से आह्वान करती है कि इस दमनचक्र के विरोध में राष्ट्रव्यापी अभियान चलाया जाए। देश के सम्पूर्ण हिन्दू समाज से यह अपील है कि इस जन जागरण आन्दोलन के कार्यक्रमों में बढ़-चढ़कर सहभागिता करें।

प्रस्तावक: व्यंकटेशवरन, केरल

अनुमोदक: अशोक राव चैगुले, गोवा

दिनांक: 17 जनवरी, 2019 – प्रयागराज

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