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भारत माता की सेवा में सर्वस्व न्यौछावर करने में वनवासी समाज पीछे नहीं रहा – सोमया जुलू जी

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भोपाल (विसंकें). अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम द्वारा 28 दिसम्बर से 31 दिसम्बर तक आयोजित 20वीं राष्ट्रीय वनवासी खेल प्रतियोगिता का भव्य समापन हो गया. भोपाल के कमला देवी पब्लिक स्कूल करोंद में तीरन्दाजी व खो–खो प्रतियोगिताओं का आयोजन हुआ, विजेताओं को समापन समारोह में ट्राफी प्रदान की गई.

मुख्य वक्ता अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम के राष्ट्रीय संगठन मंत्री सोमया जुलू जी ने राष्ट्र निर्माण में वनवासी समाज के योगदान का उल्लेख करते हुए कहा कि भगवान श्री राम, महाराणा प्रताप, शिवाजी के साथ वनवासी समाज खड़ा रहा तथा उनके साथ भारत माता की सेवा में सर्वस्व न्यौछावर करने में वनवासी समाज पीछे नहीं हटा. पूरे विश्व में पर्यावरण को लेकर समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं, उसका निवारण वनवासी समाज की जीवन शैली रहन सहन में छिपा है. वनवासी कल्याण आश्रम वनांचल में निवासित खेल प्रतिभाओं को खोज कर उचित स्थान प्रदान करने के लिये प्रयासरत है. उसका उदाहरण यहां देखने को मिल गया है.

मुख्य अतिथि नंदकुमार साय जी ने कहा कि वनवासी समाज की पहचान सरलता, भोलापन एवं ईमानदारी के रूप में होती है. कुछ लोग कहते हैं – जनजाति समाज को मुख्य धारा से जोड़ा जाए तो पहले यह तो तय हो कि मुख्य धारा क्या है. वनवासी अंचल में जाने पर पर्यावरण की चिंता इस समाज को कितनी है, देखा जा सकता है. पेड़ों की पत्तियों को साँझ ढलते ही हाथ नहीं लगाते, कहते हैं पेड़ सो गए हैं. वनवासी समाज वास्तव में प्रकृति पूजक है. शहरी करण व आधुनिकता के पीछे चलने वालों को वनवासियों से सीखना चाहिये.

मंत्री आर्य जी ने कहा कि खेल में खिलाड़ी अकेला नहीं जीतता है. उनके पीछे पूरा समाज व देश खड़ा होता है, इस भाव के जागरण में वनवासी कल्याण आश्रम का प्रयास सराहनीय है. समापन समारोह की प्रस्तावना स्वागत समिति सचिव गुमान सिंह जी डामोर ने रखी.

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