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महिलाओं में आत्मसम्मान का भाव जागृत हो : राष्ट्र सेविका समिति

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Rashtr Sevika Samiti- Dehradunदेहरदून (विसंके). महिलाओं में आत्म सम्मान की भावना का विकास हो, उनमें आत्म बल का विकास हो, इस निमित राष्ट्र सेविका समिति की स्थापना 78 वर्ष पहले हुई. आज देश में ही नहीं विदेशों में भी समिति का कार्य चल रहा है. यह बात राष्ट्र सेविका समिति की अखिल भारतीय कार्यवाहिका सीता गायत्री ने विश्व संवाद केन्द्र में आयोजित पत्रकार वार्ता में कही.

उन्होंने बताया कि राष्ट्र सेविका समिति का तेजस्वी राष्ट्र निर्माण की पुर्नस्थापना कर भारत को विश्वगुरु बनाने संकल्प अपनाया है. भारत में अनेक महिलाओं ने राष्ट्रोथान का कार्य किया है. समिति ने एक छोटे से गांव में 1936 में शाखा लगा कर कार्य शुरु किया और आज विश्व के 19 देशों में कार्य कर ही है.

उन्होंने बताया कि आज समिति अपने उद्देश्य को साथ लेकर नारी समाज का आत्म विश्वास बढ़ाने का एवं सेवाकार्य का प्रशिक्षण भी समिति उन्हें दे रही है. समिति के अनेकों छात्रावास हैं. जहां पर किशोरियों से कोई शुल्क नहीं लिया जाता.

Seeta Gayatri jiवार्ता में उन्होंने कहा कि कार्य की दृष्टि से भारत वर्ष को 11 क्षेत्र, 39 प्रान्त, 709 जिले जिनमें से 493 जिलों में समिति की 309 शाखायें और 2228 साप्ताहिक शाखायें हैं. उन्होंने बताया कि 230 स्थानों पर 353 सेवाकार्य समिति के चल रहे हैं जिनमें सिलाई कढ़ाई का प्रशिक्षण प्रमुख रूप से है. समिति की शाखाओं, वर्गों, शिविरों में उन्हें नियुद्ध (जूड़ो-कराटे) का भी प्रशिक्षण दिया जाता है. इन प्रशिक्षण से वे स्वयं आत्मरक्षा  करने में बल मिलता है और आत्म विश्वास की भी वृद्धि होती है.

किशोरी विकास के विषय में बल देते हुए उन्होंने कहा कि आज अत्यधिक आवश्यक है कि भारतीय किशोरियों की उचित रक्षा हो वे शोषण का शिकार ना हो इस हेतु पिछले वर्ष विवेकानन्द सार्द्धशती में समिति के द्वारा किशोरी विकास शिविर का आयोजन कई स्थानों पर हुआ. इन शिविरों में प्रशिक्षण से उनके अन्दर आत्म सम्मान की भावना का विकास हुआ. उन्होंने कहा कि कई समिति ने ‘बहु-बचाओ-बेटी-लाओ’ का भी नारा दिया है. जिससे महिलाओं और किशोरियों में सकारात्मक भावना की वृद्धि हो.

समाजिक पहनावे में पूछे गये सवाल का उत्तर देते हुए गायत्री जी ने कहा कि आज वातावरण ऐसा बना है जिससे अपनी संस्कृति को बचाये रखना अत्यंत आवश्यक है. पाश्चात्य संस्कृति के पहनावे से समाज में पश्चिमी देशों की कई बुराइयां भी आ गयी है, इससे बचने की आवश्यकता है. किशोरियों को पाश्चात्य शैली व अपनी सांस्कृतिक शैली के अन्तर को समझना होगा.

राष्ट्र सेविका समिति की इस वार्ता में सीता गायत्री जी के साथ प्रान्त कार्यवाहिका अंजली वर्मा, विभाग बौद्धिक प्रमुख शारदा त्रिपाठी, डॉ. रश्मी त्यागी रावत सहित अन्य कार्यकत्री भी उपस्थित थी.

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