वामपंथ का इतिहास केवल असहिष्णुता और रक्तपात से ही नहीं भरा है, बल्कि इसमें महिला विरोधी, शोषणकारी, लिंगभेद और भोगवाद की धारणा भी बसी हुई है. इसी भोगवादी, महिला विरोधी विचारधारा को नकारते हुए पश्चिम बंगाल के जाधवपुर विश्वविद्यालय में वामपंथी छात्र संगठन एसएफआई (SFI) के 31 छात्रों ने सोमवार, 6 जनवरी को संगठन को छोड़ दिया. एसएफआई नेताओं पर छात्रा से यौन दुर्व्यवहार और यौन शोषण के आरोपों पर कोई कार्रवाई नहीं होने के कारण नाराज 31 छात्रों ने इस्तीफा दिया है. इसने वामपंथी छात्र संगठन एसएफआई की करनी को उजागर कर दिया है.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार सोशल मीडिया पर प्रसारित 31 छात्रों द्वारा हस्ताक्षरित त्याग पत्र में कहा गया है कि शिकायत के बावजूद आरोपियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई. पत्र में इस्तीफा देने वाले छात्रों ने लड़कियों के साथ होने वाले छेड़छाड़, नेतृत्व में पितृ सत्तात्मक क्रियाकलाप, विद्यार्थियों के बीच लिंग और जाति के आधार पर भेदभाव के आरोप लगाए गए हैं.
इसके अलावा छात्रों ने “सामाजिक आज़ादी” की बात करने वाले वामपंथी संगठन के बारे में कहा है कि सिगरेट पीने, कपड़े पहनने से लेकर निजी कार्यों में भी लड़कियों को प्रताड़ित किया जाता था. वामपंथी छात्र संगठन से इस्तीफा देने वाले जाधवपुर विवि के छात्र जयदीप दास ने कहा कि “वामपंथी संगठन एसएफआई जमीनी कार्य को छोड़कर सिर्फ राजनीतिक मुद्दों में लगा हुआ है. इन्हें सिर्फ वोट की राजनीति से मतलब है.” भारत के तमाम विश्वविद्यालयों में वामपंथी नेता और वामपंथी संगठन “आजादी”, “उदारवाद” की बात करते हैं, लेकिन अपने ही संगठन में वह किसी को भी आजादी नहीं देना चाहते.
महिला सुरक्षा और नारीवाद के नाम पर ढेरों वामपंथी संगठन अखबारों और मीडिया में सुर्खियां बनाते रहते हैं. वामपंथ की विचारधारा को महिलाओं के लिए अच्छा बताते हैं. आज वही वामदल अपने ही छात्राओं का शोषण कर रहा है. वामपंथ की इकाई में यह पहली घटना नहीं है. पहले भी कई बार वामपंथी संगठनों में महिला शोषण की बातें सामने आई हैं, ढेरों आरोप लगे हैं.
https://www.republichindi.com/news/education/31-sfi-members-of-jadavpur-university-resign-over-sexual-abuse-inaction/13580.html