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मालवीय जी की भूमिका रेखांकित हुई- डॉ. पाण्डेय

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Rashtriyata aur Bharat Ratn Pandit Madan Mohan Malviyaपटना (विसंके). भारत सरकार ने प्रखर देशभक्त पंडित मदन मोहन मालवीय को भारतरत्न देकर उनके योगदान को रेखांकित किया है. पंडित मदन मोहन मालवीय अगर नहीं होते तो गांधीजी और अम्बेडकरजी का पूना पैक्ट संभव नहीं हो पाता. मालवीय जी ने भारत की आजादी के लिए अलख जगाने का काम किया जिसे स्वयं नेहरू ने भी स्वीकार किया. उक्त बातें मालवीय जी पर कई पुस्तकों के लेखक डॉ. विश्वनाथ पाण्डेय ने विश्व संवाद केंद्र द्वारा 09 जनवरी को पटना में आयोजित संगोष्ठी में कही.

‘राष्ट्रीयता एवं भारतरत्न पंडित मदनमोहन मालवीय’ विषयक संगोष्ठी को संबोधित करते हुए डॉ. पाण्डेय ने कहा कि सन् 1961 में नेहरू जी ने मालवीय जी के योगदान की सराहना करते हुए कहा था कि हमलोग जवानी के दिनों में समझते थे कि यह बुर्जुग आदमी काफी धीमी चाल से चलता है और पुरातन पंथी है लेकिन अब उन्हें महसूस होता है कि मालवीय जी की नीतियां देश के बड़ी ही कारगर थी.

कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि टेक्सास विश्वविद्यालय (अमेरिका) के इतिहास विभाग की प्रोफेसर लिया रेनाल्ड ने मालवीय जी को एक बहुआयामी व्यक्ति बताते हुए कहा कि पश्चिम के देशों में मालवीय जी की एक नकरात्मक छवि इतिहासकारों ने प्रस्तुत की है. लेकिन जब उन्होंने सच्चाई जानने का प्रयास किया तो यह ज्ञात हुआ कि यह धारणा वास्तविकता से कोसों दूर थी. मालवीय जी प्रखर देशभक्त एवं भारतीय जनमानस के अनुकूल सोचने वाले व्यक्ति थे. पटना विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. वाईसी सिमाद्री की धर्मपत्नी श्रीमती सिमाद्री ने कहा कि काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में रहते हुए उन्होंने मालवीय जी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व को काफी नजदीक से समझा. विश्वविद्यालय का प्रत्येक हिस्सा मालवीय जी के व्यक्तित्व से अनुप्राणित है. कार्यक्रम का विषय प्रवेश प्रख्यात ऐतिहासिक उपन्यासकार डॉ. शत्रुघ्न प्रसाद ने किया. धन्यवाद ज्ञापन विसंके के न्यास के अध्यक्ष श्री श्रीप्रकाश नारायण सिंह ने किया. मंच संचालन वरिष्ठ पत्रकार कुमार दिनेश ने किया.

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