करंट टॉपिक्स

राष्ट्र के प्राचीन गौरव बोध व राष्ट्र भाव के जागरण हेतु हम सब स्वयंसेवक हैं – डॉ. भगवती प्रकाश जी

Spread the love

संतों की तरह संघ भी परमार्थ के कार्य के लिए ही है – डॉ. रूपचन्द दास जी

जोधपुर (विसंकें). गादीपति कबीर आश्रम माधोबाग डॉ. रूपचंद दास जी ने कहा कि दया, गरीबी, बंदगी, समता और शील ये संतों के गुण हैं, इसी द्वारा संत, सरोवर, वृक्ष एवं वर्षा परोपकार के लिए कार्य करते हैं. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवकों में भी उपरोक्त सभी गुण समाविष्ट होते हैं. इसीलिए संघ एवं संतों को परमार्थ का पर्याय माना जाता है. वे राजस्थान क्षेत्र के द्वितीय वर्ष संघ शिक्षा वर्ग (सामान्य) के समापन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे.

समापन समारोह में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्र संघचालक डॉ. प्रकाश जी ने कहा कि स्वस्थ समाज से ही सबल राष्ट्र का निर्माण होता है. राष्ट्र का प्राचीन गौरव बोध, राष्ट्र भाव का जागरण एवं स्वत्व जगाने हेतु हम सब स्वयंसेवक हैं. हमारी सभ्यता एवं संस्कृति विश्व की प्राचीनतम संस्कृति है. इसका प्रचार-प्रसार सम्पूर्ण विश्व में हुआ है. आज इस संस्कृति पर आन्तरिक एवं बाह्य दोनों ओर से आक्रमण हो रहा है. आज राष्ट्र में जातिवाद, अलगाववाद, भाषा, प्रान्त, अगड़े-पिछड़े के झगड़ों में समाज को बाँटने के षड्यन्त्र चल रहे हैं, ऐसी परिस्थितियों में सामाजिक समरसता के पक्ष में प्रबलता से कार्य करना जरूरी हो गया है. प्राचीन समरसता का भाव पुनः स्थापित करना स्वयंसेवक का लक्ष्य होना चाहिए. मन्दिर, श्मशान और जल स्थान, इन तीनों जगहों पर बिना भेदभाव प्रवेश होना चाहिए. राष्ट्र के बारे में विचार करने वाले सभी बन्धु भगिनी को जागृत करने की आवश्यकता है.

आर्थिक विषयों की चर्चा करते हुए क्षेत्र संघचालक जी ने कहा कि आज चीन हमारे आर्थिक क्षेत्र में कब्जा जमाने के प्रयासों में है. बड़ी-बड़ी बहुराष्ट्रीय कम्पनियां भारत के रिटेल एवं online व्यापार को भी हथियाने का प्रयास कर रही हैं. साथ ही देश में वामपंथी एवं विदेशी इशारों पर कार्य करने वाले कुछ स्वयंसेवी संगठनों द्वारा देश के विकास एवं सामाजिक तानाबाना खत्म करने के कुत्सित प्रयास हो रहे हैं. इन सबका सामना राष्ट्रीय सोच को विकसित कर संगठित हिन्दू समाज ही कर सकता है. संघ इसी पुनीत कार्य में लगा हुआ है, संघ की शाखाओं के माध्यम से सम्पूर्ण देश में सामाजिक समरसता, एकात्मता का भाव विकसित कर चरित्रवान, राष्ट्रभक्त नागरिकों का निर्माण किया जा रहा है जो आज की आवश्यकता है. उन्होंने समाज बन्धुओं का भी आहृान किया कि वे इस पुनीत कार्य में सहभागी-सहयोगी बनें.

कार्यक्रम में शिक्षार्थियों ने प्रत्युत प्रचलनम् प्रदक्षिणा संचलन, निःयुद्ध, दण्ड युद्ध, पद विन्यास, सामान्य दण्ड, योगासन, गण समता, सामूहिक समता, दण्ड एवं व्यायाम योग का सामूहिक प्रदर्शन किया. वर्ग के सर्वाधिकारी हरदयाल जी वर्मा ने आभार प्रकट किया

संघ शिक्षा वर्ग 20 मई से प्रारम्भ हुआ था, जिसमें राजस्थान के सभी 33 सरकारी एवं संघ दृष्टि से 63 जिलों के 278 शिक्षार्थियों ने प्रशिक्षण प्राप्त किया. इसके साथ 4 शिक्षार्थी राजस्थान से बाहर के भी आए थे. इन शिक्षार्थियों में 5 अभियन्ता, 5 वकील, 63 शिक्षक-प्राध्यापक, 01 पत्रकार, 01 मजदूर, 67 व्यवसायी व कर्मचारी, 112 महाविद्यालय विद्यार्थी, 24 विद्यालय विद्यार्थी शामिल थे.

शिक्षार्थियों ने पर्यावरण संरक्षण हेतु रेत से बर्तन मांजकर जल बचाया, तो एक दिन परिसर में वृक्षारोपण कर पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया. शिक्षार्थियों को प्रत्यक्ष श्रमानुभाव हेतु 20 मिनट का प्रतिदिन सेवा कार्यों का अभ्यास कराया गया. संघ के कार्य हेतु आवश्यक कार्य प्रचार, सम्पर्क, व्यवस्था, गौ सेवा, ग्राम विकास, धर्म जागरण समन्वय का भी प्रशिक्षण दिया गया.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *