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शाखा में आकर ही संघ को जान सकते हैं: भागवत

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Sarsanghchalak ji samapan samaroh mein sambodhit karte hueहरिद्वार, 30 नवंबर (मीडिया सेंटर). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन राव भागवत जी ने कहा कि आज संघ को आम लोग आरएसएस के नाम से जानते हैं मगर लोगों को अभी तक इसकी पूरी जानकारी नहीं है. कोई इसे गीत-संगीत और आध्यात्म से जोड़ता है तो कोई सेवा भाव से. संघ को जो व्यक्ति जिस रूप में देखता है उसी रूप में समझता है. उन्होंने कहा कि आरएसएस को समझना हो तो शाखा में आना ही होगा.

पतंजलि फेज-टू में नवसृजन शिविर के समापन समारोह के दौरान संघ के स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए श्री भागवत ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ न तो पैरामिलट्री सेना है और न ही संगीतशाला. यह न तो झंडेवाली पाटी्र है और न ही कोई राजनीतिक दल. अगर संघ को जानना है समझना है तो लोगों को संघ से जुड़कर शाखा में आना ही होगा. संघ की पृष्ठभूमि की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि डाक्टर केशवराव बलिराम हेडगेवार जी ने 1929 में विजयादशमी के दिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना की थी. उन्होंने कम्यूनिस्ट पार्टी के संस्थापक मानवेन्द्र राय की पुस्तक रेडिकल हेम्युनिज्म बातों का उल्लेख करते हुए कहा कि जब तक अंतिम व्यक्ति का विकास नहीं होगा तब तक संपूर्ण विकास की कल्पना नहीं की जा सकती है. जब तक इस देश के सामान्य व्यक्ति के अंदर विद्यमान सदगुणों को उपर नहीं उठाया जाता तब तक देश को ऊंचा नहीं उठाया जा सकता. डाक्टर हेडगेवार ने आठ साल के विचार विमर्श के बाद संपूर्ण देश के मन में यह देश मेरा है इस भावना को पैदा करने के लिए संघ की स्थापना की और इसका लक्ष्य बताया संपूर्ण देश सेवा का लक्ष्य बताया. 14 वर्ष तक कार्यकर्ताओं की मेहनत के बाद अपने सिद्धांतों को परखकर संघ की पद्धति बनायी और कहा कि देशात्म बोध की चेतना ही हिंदुज्म है. उन्होंने कहा कि दुनिया का एकमात्र देश भारत है जो कहता है कि विविधता प्रकृति की देन है उसका सम्मान करो. व्यक्तिगत साधना और समाज की निष्काम सेवा ही मनुष्य का जीवन है. उन्होंने कहा कि हिंदुत्व हमारी देश की सांस्कृतिक विरासत है. इस एक सनातन संस्कृति की रक्षा और उन्नति के लिए संपूर्ण देश को एक सूत्र में पिरोता है वह हिंदुत्व है.

Ganesh Gayal ko paryavaran sanrakshan ki liye sammanit karte Sarsanghchalak jiउन्होंने कहा कि जब दुनियां में यातायात के साधन नहीं थे, लोग कपड़ा पहनना नहीं जानते थे तब हमारे पूर्वज संस्कृति के उच्चतम शिखर पर थे और शांति और आध्यात्म का संदेश देने मैक्सिको से साइबेरिया तक गये. देशान्त बोध की भावना जागते ही सारा पुरातन गौरव हमारा हो जाता है. संघ इसी को जगाने के लिए तत्पर है. उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानंद कहते हैं कि दुनिया के किसी कोने में बसे हिंदु की संवेदना यदि महसूस होती है तभी हम हिंदू कहलाने के लायक हैं. उन्होंने कहा कि पुस्तक पढ़कर भाषण देकर सफलता नहीं पायी जाती. इसके लिए निरंतर कार्य करने का अभ्यास करना पड़ता है. जो सुना पढ़ा है उसे आचरण में लाना पड़ता है. उन्होंने स्वयंसेवकों का उत्साह बढ़ाते हुए कहा कि डाक्टर हेडगेवार के पास कोई सत्ता नहीं थी कोई आर्थिक आधार नहीं था लेकिन उनके सत्व का प्रभाव था कि जो संघ आज इतना बड़ा हो गया है. उन्होंने कहा कि संघ को देश में प्रभाव गुट या दबाव गुट नहीं बनाना है. उसका काम समाज को संगठित करना है. देश के निर्माण का ठेका किसी संगठन या पार्टी को नहीं दिया जा सकता. यह अपना देश है हम सबको इसे मिलकर बनाना है. दुनिया में जितने भी देश बड़े हैं उस देश की जनता ने सौ वर्षों तक योग्य नेतृत्व में सभी स्वार्थों को त्यागकर देश के लिए काम किया है. स्वतंत्रता के बाद हमने नीति, नेता और नारे सब बदले लेकिन परिवर्तन नहीं हुआ आज फिरदेश ने परिवर्तन के लिए अच्छे व्यक्ति के हाथ में देश को सौंपा है वे करेंगे या नहीं करेंगे यह पता नहीं लेकिन संघ लगातार अपने स्तर पर कार्य करने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि देश को परमवैभव संपन्न राष्ट्र बनाने के लिए संघ का सारा कार्य है. संघ की सोच है कि तेरा वैभव अमर रहे मां हम दिन चार रहें या न रहें.

unnamed (2)संघ प्रमुख ने इस शिविर में उपस्थित सभी माताओं, बहनों को संघ से जुड़ने का आह्वान करते हुए राष्ट्रसेविका समिति से जुड़कर सेवा कार्य करने को कहा. उन्होंने कहा कि देश निर्माण का काम बाबा रामदेव, गायत्री परिवार आदि से जुड़कर भी हम कर सकते हैं. कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रख्यात योगगुरु बाबा रामदेव ने कहा कि संघ के बारे में दुनियां में यह प्रसिद्ध है कि वह अनुशासन और राष्ट्रभक्ति सिखाता है. संघ कार्यों के लिए प्रत्येक व्यक्ति को अपने जीवन का कुछ समय जरूर लगाना चाहिए. उन्होंने कहा कि भारत दुनियां का सर्वश्रेष्ठ राष्ट्र है जिसनें दुनिया को सबसे पहले चिकित्सा शिक्षा व्यवस्था दी. अंग्रेजों के कुशासन के समय देश में सात लाख गुरुकुल चलते रहे. बाबा ने कहा कि आज की न्याय व्यवस्था में बहुत सुधार की जरूरत है. जबकि हमारे ऋषियों ने जो न्याय की व्यवस्था दी है वह बेमिसाल था ओर रहेगा. उन्होंने कहा कि अपने जीवन में हम महान पूर्वजों के गौरव को लेकर आगे बढ़ें. बाबा ने कहा कि जिस तरह से धरती और सूर्य पूरे समय पुरुषार्थ में लगे रहते हैं उसी प्रकार हमें भी अपने देश के लिए लगातार पुरुषार्थ में लगे रहना चाहिए. बाबा ने कहा कि अपने व्यक्तिगत जीवन को साधना से पूर्ण बनाना, वर्तमान को पुरुषार्थ से सुंदर बनाना और उसके आधार पर सुखद भविष्य की आशा करनी चाहिए.

Samapan samaroh nav srijan shivirशिविर में प्रांत के 21 जिलों से 5559 विद्यार्थियों ने भाग लिया. जिसमें 3022 स्नातक, 677 परास्नातक, 105 एलएलबी, 38 पीएचडी, 1728 तकनीकी शिक्षा से जुड़े लोग शामिल थे. इसमें प्रांत के 535 में से 251 महाविद्यालय व विश्वविद्यालय के छात्र मौजूद थे. इसके अलावा 252 प्रशिक्षक, 64 मार्गदर्शन अधिकारी शामिल हैं.

इस अवसर पर पर्यावरण संरक्षण में योगदान देने वाले एक छात्र को भी सम्मानित किया गया. 11वीं कक्षा का छात्र गणेश ग्याल ने 11 हजार पौधों के रोपण का निश्चय किया है. वे अभी तक 10 हजार पौधे लगाने के साथ उसके संरक्षण में जुटे हुए हैं. उनके इस दृढ़ निष्चय पर सरसंघ चालक जी ने स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया. इसके साथ ही लेक्चर में विश्व रिकार्ड बनाने वाले ग्राफिकऐरा के प्रोफेसर डा अरविंद मिश्रा को कार्यक्रम में प्रदेश प्रांत कार्यवाह चन्द्र  पाल सिंह नेगी, शिविराधिकारी बहादुर सिंह बिष्ट, योगगुरु रामदेव और उनके सहयोगी आचार्य बालकृष्ण, पश्चिमी उत्तर प्रदेश के संघ चालक डा दर्शन लाल उपस्थित थे.

 

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