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शिक्षा में सेवाभाव और देशप्रेम का समावेश आवश्यक है – ब्रह्माजी राव

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गुवाहाटी. पूर्वोत्तर जनजाति शिक्षा समिति की साधारण सभा की बैठक रविवार को असम प्रकाशन भारती कार्यालय के सभागृह में सम्पन्न हुई. पूर्वोत्तर जनजाति शिक्षा समिति के अध्यक्ष सदादत्त ने मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर सभा का शुभारंभ किया. शंकरदेव विद्या निकेतन की छात्राओं द्वारा वन्दना प्रस्तुत की. राष्ट्र तथा समाज के कल्याण में अपना योगदान देने वाली दिवंगत आत्माओं को श्रद्धांजलि दी गई.

सांचीराम पायंग ने मंचासीन महानुभाओं का परिचय करवाया. विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान के राष्ट्रीय मंत्री ब्रह्माजी राव ने डॉ. भूपेन हजारिका की मानवता एवं सेवा भावना का स्मरण कराया. आज की शिक्षा व्यवस्था में असम के वीर पुत्र लाचित बरफुकन के देशप्रेम का आदर्श नई पीढ़ी में जगाने का आह्वान किया. सार्थक जीवन जीने के लिए शिक्षा और धन के अलावा कृतज्ञता, सेवा का भाव और देशप्रेम अति आवश्यक है. शिक्षा को देश एवं विश्व कल्याण के साथ जोड़ने से ही देश तथा समाज का सर्वांगीण विकास सम्भव होगा. उन्होंने बताया कि पूर्वोत्तर जनजाति शिक्षा समिति पूर्वोत्तर क्षेत्र के दुर्गम क्षेत्र में ज्ञान का प्रकाश फैला रही है. वर्तमान में 87 विद्यालय और 600 एकल विद्यालय चल रहे हैं. अपने कार्य का आधार कार्यकर्ता और समाज है. अगर कार्यकर्ता समर्पित और सेवा भाव से कार्य करेंगे और समाज के बन्धु ज्यादा से ज्यादा सहयोग करेंगे तो अपना कार्य विस्तार तेजी से होगा.

इसके बाद पूर्वोत्तर जनजाति शिक्षा समिति के मंत्री सांचीराम पायंग ने 2018-19 का वार्षिक प्रतिवेदन रखा. इसे सभा ने सर्वसम्मति से स्वीकार किया.

पूर्वोत्तर जनजाति शिक्षा समिति के अध्यक्ष सदादत्त ने कहा कि समिति समाज के सहयोग से जनजाति समाज के उत्थान के लिए संकल्पबद्ध और कार्यरत रहेगी.

 

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