नई दिल्ली. शारीरिक व मन की शुद्धि, दान, यज्ञ व वंचितों की सेवा कर उन्हें गले लगाने का महान पर्व है मकर संक्रांति. आज दक्षिणी दिल्ली के ईस्ट ऑफ कैलाश स्थित आर्य समाज संत नगर में आयोजित मकर संक्रांति उत्सव में विश्व हिन्दू परिषद् के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल ने कहा कि सम्पूर्ण भारत में कहीं लोहड़ी, कहीं उत्तरायण, कहीं माघ साजी, कहीं पौष-संक्रांति, कहीं पोंगल, कहीं बिहू, कहीं मकराविलक्कू तो कहीं मकर संक्रांति जैसे विविध नामों से मनाया जाने वाला भगवान सूर्य की उपासना का पर्व विविधता में एकता का ही संदेश देता है.
वैदिक विदुषी दर्शानाचार्या विमलेश आर्या ने उपस्थित जन-समूह को यज्ञ में आहूतियां समर्पित करवा कर यज्ञोपदेश करते हुए कहा कि लोहड़ी बृहदयज्ञ का ही एक रूप है, जिसमें, शरदऋतु में आए नवान्न गुड़ तिल मक्का आदि से बने मिष्ठान की आहुति दी जाती है. अतः यज्ञ, देव-पूजा संगतिकरण और दान करते हुए अभावग्रस्त लोगों को पुण्य कार्यों में शामिल कर उनकी आवश्यकता की वस्तुएं वितरण करके ही लोहड़ी या मकर संक्रांति जैसे पर्व को सार्थक किया जा सकता है.