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श्रीराम मंदिर, गौ-रक्षा मंत्रालय, समरसता व विदेशी घुसपैठ सहित अन्य विषयों पर विहिप बैठक में मंथन -आलोक कुमार जी

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नई दिल्ली. विश्व हिन्दू परिषद के कार्याध्यक्ष आलोक कुमार जी ने कहा कि विहिप भारत में उत्पन्न हुए सभी धर्मों के लोगों का साझा मंच है. अपने विविध कार्यों के माध्यम से विहिप इनकी एकता, समरसता व विकास हेतु प्रयत्नशील है.

विहिप की प्रबंध समिति ने संकल्प किया है कि अनुसूचित जाति व जनजातियों के सशक्तिकरण हेतु उनके आर्थिक, शैक्षणिक, स्वास्थ्य व सामाजिक क्षेत्रों के विकास के लिये वहां चल रहे सेवा कार्यों का विस्तार किया जाएगा. अभी देश के लगभग 62 हजार ग्रामों में एकल विद्यालय चल रहे हैं तथा आगामी 2 वर्षों में यह संख्या एक लाख को पार कराने का अभियान लिया जाएगा. इसके साथ ही अन्य सेवा कार्यों का भी व्यापक विस्तार होगा. विहिप कार्याध्यक्ष ने यह भी कहा कि भारतीय समाज के गहरे परस्पर संबंधों को तोड़ने हेतु कुछ नापाक शक्तियां प्रयासरत हैं, जो एक-एक कर बेपर्दा होती जा रहीं हैं. इनके प्रयासों को हम कभी सफल नहीं होने देंगे.

आलोक कुमार जी ने कहा कि जिन राज्यों में गौहत्या या गौवंश की तस्करी पर कानूनी प्रतिबंध है, वहां के विहिप कार्यकर्ता तो कानून सम्मत तरीके से गौ रक्षा कर ही रहे हैं, वहां के अन्य नागरिकों से भी हम अपेक्षा करते हैं कि वे कानून की अनुपालना सुनिश्चित करने के लिये आगे आएं.

केन्द्रीय प्रबंध समिति की दो दिवसीय बैठक के समापन पर उसकी विस्तृत जानकारी देते हुये विहिप कार्याध्यक्ष ने बताया कि सम्पूर्ण देश के सभी राज्यों से आए लगभग 250 प्रतिनिधियों ने श्रीराम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर निर्माण, गौ-रक्षा, गौ-संवर्धन, सामाजिक समरसता, रोहिंग्या व बांग्लादेशी मुसलमानों की घुसपैठ, पड़ोसी देशों में हिन्दू अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न, सेवा कार्यों के विस्तार, महिला स्वावलम्बन व सुरक्षा के अलावा छद्म धर्म-निर्पेक्षता वादियों के षड़यंत्रों पर चर्चा की.

अपने पहले प्रस्ताव में उपस्थित प्रतिनिधियों ने देश की कृषि, कृषक, पर्यावरण, गौवंश, संविधान तथा महात्मा गांधी के स्वराज्य की भावना का सम्मान करते हुए उडुप्पी में हुई धर्म संसद में संतों के आदेशानुसार केन्द्र व राज्य सरकारों से पृथक भारतीय गौवंश रक्षण संवर्धन मंत्रालय बनाने की मांग की. दूसरे प्रस्ताव में विहिप की प्रबंध समिति ने देश में बढ़ती रोहिंग्या मुसलमानों की संख्या को आंतरिक व बाह्य सुरक्षा के लिये खतरा बताते हुये घुसपैठ की समस्या से निपटने हेतु कानून बनाने, भारत-बांग्ला सीमा को सील करने, बी.एस.एफ. के साथ अन्य सुरक्षा एजेंसी तैनात करने तथा संसदीय समिति के गठन तथा घुसपैठियों को अविलंब वापस भेजने की सरकार से मांग की, साथ ही जनता से भी इस संदर्भ में सजग रहकर इन घुसपैठियों का आर्थिक-सामाजिक बहिष्कार कर पुलिस-प्रशासन को सौंपने की अपील की.

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